पहले प्रतीक्षा रहती थी वर्ष के आरंभ की क्यूंकि तब diary बदली जाती थी पहले प्रतीक्षा रहती थी वर्षा के आरंभ की जो सावन की बदली लाती थी अब कम्प्यूटर के ज़माने में डायरी एक बोझ है और बेमौसम बरसात होती रोज है बदली नहीं बदली ज़िंदगी है बदली बारिश की बूंदे जो कभी थीं घुंघरु की छनछन दफ़्तर जाते वक्त आज कोसी जाती हैं क्षण-क्षण पानी से भरे गड्ढे थे झिलमिलाते दर्पण आज नज़र आते हैं बस उछालते कीचड़ जिन्होंने सींचा था बचपन आज वही लगते हैं अड़चन रगड़ते wiper और फिसलते tire दोनों के बीच हुआ बचपन retire बदली नहीं बदली ज़िंदगी है बदली कभी राम तो कभी मनोहारी श्याम कभी पुष्प तो कभी बर्फ़ीले पहलगाम तरह-तरह के calendars से सजती थीं दीवारें अब तो गायब हो गए हैं greeting cards भी सारे या तो कुछ ज्यादा ही तेज हैं वक्त के धारें या फिर technology ने emotions हैं मारे दीवारों से fridge और fridge से screen पर सिमट कर रह गए संदेश हमारे जिनसे मिलती थी अपनों की खुशबू आज है बस recycling की वस्तु बदली नहीं बदली ज़िंदगी है बदली पहले प्रतीक्षा रहती थी वर्ष के आरंभ की ... सिएटल, 31 दिसम्बर 2007 ====================== Glossary: वर्ष = year वर्षा = rain बदली = 1. change 2. cloud
Monday, December 31, 2007
वर्ष का आरंभ
Posted by Rahul Upadhyaya at 12:44 PM
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Labels: digital age, TG
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1 comments:
नववर्ष की शुभकामनाएँ ।
घुघूती बासूती
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