Sunday, January 15, 2017

समन्दर की, बवण्डर की बातों का क्या बुरा मानना

समन्दर की, बवण्डर की
बातों का क्या बुरा मानना
बे-सर-पैर की शख़्सियत की
बातों का क्या बुरा मानना

जीवन के चमन में 
फूल भी हैं, ख़ार भी
हर किसी उपज की
बातों का क्या बुरा मानना

हमने ही ठानी थी
कि खेलेंगे खेल नियमों से
अब कोच की, अम्पायर की
बातों का क्या बुरा मानना

सूरज भी ढलता है
सितारे भी चमक खोते हैं
फिर तख़्त की, ताज की
बातों का क्या बुरा मानना

जो कल था, कल फिर होगा
कल-कल का कलरव कालान्तर रहेगा
ब्रेकिंग न्यूज़ चैनल की
बातों का क्या बुरा मानना

15 जनवरी 2017
सिएटल | 425-445-0827
tinyurl.com/rahulpoems 


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