tag:blogger.com,1999:blog-2212278896517127466.post1303234280736597260..comments2024-02-28T02:15:53.623-08:00Comments on उधेड़-बुन: खम्भे के इस पार है हरियालीRahul Upadhyayahttp://www.blogger.com/profile/17340568911596370905noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-2212278896517127466.post-48409344470337727362015-10-08T20:34:57.835-07:002015-10-08T20:34:57.835-07:00"खम्भे के इस पार है हरियाली
उस पार न जाने क्य..."खम्भे के इस पार है हरियाली<br />उस पार न जाने क्या होगा?"<br /><br />बहुत प्यारी कविता है। सभी बातें sensitive शब्दों में कहीं हैं। रंग, कलियाँ, भँवरे, धाराएं, पक्षी, पत्ते, टहनियाँ, धूप - पढ़कर लगता है किसी सुंदर जगह की description है और मन बहुत शांत हो जाता है। कविता का end भी एक गहरी बात पर हुआ है - बहुत अच्छा लगा!Anonymousnoreply@blogger.com