tag:blogger.com,1999:blog-2212278896517127466.post3264473426774168172..comments2024-02-28T02:15:53.623-08:00Comments on उधेड़-बुन: दु:ख का सुख Rahul Upadhyayahttp://www.blogger.com/profile/17340568911596370905noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-2212278896517127466.post-2906121597166463982012-12-28T20:30:46.281-08:002012-12-28T20:30:46.281-08:00विश्वास करना मुश्किल है कि कोई इंसान किसी दूसरे इं...विश्वास करना मुश्किल है कि कोई इंसान किसी दूसरे इंसान के साथ इतना बुरा कर सकता है। शायद उनमें थोड़ा सा भी दिल नहीं है या फिर वो अपने दिल से नाता खो चुके हैं। आज की खबर तो बहुत, बहुत दुःख की खबर है। <br /><br />आपकी बात सही है की यह समय दुःख पर लिखी रचनाओं पर वाह-वाह करने का नहीं है Anonymousnoreply@blogger.com