tag:blogger.com,1999:blog-2212278896517127466.post4335747508571978665..comments2024-02-28T02:15:53.623-08:00Comments on उधेड़-बुन: मामीसाबRahul Upadhyayahttp://www.blogger.com/profile/17340568911596370905noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-2212278896517127466.post-48839062607948368422014-05-10T23:33:09.103-07:002014-05-10T23:33:09.103-07:00बहुत ही सरल और भोले मन से लिखी, प्यारी सी कविता है...बहुत ही सरल और भोले मन से लिखी, प्यारी सी कविता है! इसमें कठिन शब्द नहीं, गहरी बातें नहीं, complex wordplay नहीं - सिर्फ एक छोटे से बेटे का अपने मामीसाब के लिए प्यार है। <br /><br />एक बच्चे की उँगली थामना, उसे आँचल की छाँव में रखना, स्नेह और आदर देना, उसकी खामियां नहीं देखना, गुस्सा नहीं करना - यह तभी हो सकता है जब दिल बहुत बड़ा हो और उसमें असीम प्रेम हो।<br /><br />अपने यादों और experiences को कविता के thread मे इस तरह पिरोना कि वो एक flow में बहें, आसान नहीं है। आपने बहुत ही सुंदर रचना लिखी है। <br /><br />"जिस मामी का मुझ को प्यार मिला<br />उस मामी को लाखों सलामी मेरी"<br />"भगवान करे हर जन्म में <br />ये ही हो मामी आगामी मेरी"<br /><br />भगवान आपके मन की बात ज़रूर पूरी करेंगे!Anonymousnoreply@blogger.com