tag:blogger.com,1999:blog-2212278896517127466.post4665028575031007277..comments2024-02-28T02:15:53.623-08:00Comments on उधेड़-बुन: सूरजRahul Upadhyayahttp://www.blogger.com/profile/17340568911596370905noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-2212278896517127466.post-39763560609548057142016-04-01T15:26:46.570-07:002016-04-01T15:26:46.570-07:00From email:
सन्दर्भ --
हमें गम्भीरता से सोचने की...From email:<br /><br />सन्दर्भ --<br /><br />हमें गम्भीरता से सोचने की आवश्यकता है कि एसी कहाँ कमी है कि इस तरह की सोच को जन्म दिया बहुत कुछ और भी कहने की इच्छा है मगर अभी केवल यही कि मैं राहुल जी के काव्य से असहमत हूँ ।<br /><br />***********<br /><br />राहुल जी ने कुछ लिखा, वह भी कविता में. <br /><br />>>कविता होती ही इसलिए है, कुछ लिखने के लिए. यह कुछ बहुत विशाल होता है, सीमाहीन.<br /><br />**<br /><br />पाठकों को कुछ अटपटा लगा <br /><br />>>चलो, कोई बात नहीं. लिखा जाएगा तो अटपटापन भी कई बार झलकेगा ही.<br /><br />**<br /><br />एक पाठक को लगा कि गम्भीरता से सोचने की आवश्यकता है कि कवि की ऐसी सोच को क्यों और किन परिस्थितियों ने दिया.<br /><br /><br />>> कवि का सौभाग्य है कि किसीने उसके बारे इतना गंभीर चिंतन किया. वरना आजकल तो गांधी, नेहरू, मोदी के बारे में भी कोई नहीं सोचता.<br /><br />वैसे,<br /><br />ये क्या हुआ, कैसे हुआ, कब हुआ क्यों हुआ, ................<br /><br />https://www.youtube.com/watch?v=saApSghVCOURahul Upadhyayahttps://www.blogger.com/profile/17340568911596370905noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2212278896517127466.post-56420943332622151682016-04-01T15:24:43.649-07:002016-04-01T15:24:43.649-07:00From email:
हम सभी का मत एक ही है कि सूरज सत्य ह...From email:<br /><br /> हम सभी का मत एक ही है कि सूरज सत्य है सनातन है शाश्वत है और हम सभी का जीवन है।जहाँ तक सवाल है कवि की सोच का तो वह आसपास के वातावरण या मन के भावों का दर्पण है एसी सोच कहाँ से आई मुझको इस बात पर आश्चर्य है।कहीं ये स्वयं को भीड से अलग दिखाने के लिए किया गया उपक्रम ही तो नहीं और यदि कारण ये नहीं है तो हमें गम्भीरता से<br /><br /> सोचने की आवश्यकता है कि एसी कहाँ कमी है कि इस तरह की सोच को जन्म दिया बहुत कुछ और भी कहने की इच्छा है मगर अभी केवल यही कि मैं राहुल जी के काव्य से असहमत हूँ ।<br />Rahul Upadhyayahttps://www.blogger.com/profile/17340568911596370905noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2212278896517127466.post-88390048333998660642016-04-01T15:23:49.134-07:002016-04-01T15:23:49.134-07:00From email:
आ0 राहुल जी ने अपनी एक कविता में सूरज...From email:<br /><br />आ0 राहुल जी ने अपनी एक कविता में सूरज के कुछ "कुकर्मों" का ज़िक्र किया है...<br /><br />अगर सूरज के 2-4 कुकर्मों का नाम गिना दें तो हम भी कुछ अपनी आस्था व विश्वास के बारे में सोचें....Rahul Upadhyayahttps://www.blogger.com/profile/17340568911596370905noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2212278896517127466.post-28246947563708427762016-04-01T15:22:51.964-07:002016-04-01T15:22:51.964-07:00From email:
सूर्य को "कुकर्मी' मानने में...From email:<br /><br />सूर्य को "कुकर्मी' मानने में मेरो भी असहमति है । किन्तु प्रत्येक व्यक्ति के अपने विचार हैं । आपकी चन्द पंक्तियाँ इस विषय में युक्तिसंगत हैं ।Rahul Upadhyayahttps://www.blogger.com/profile/17340568911596370905noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2212278896517127466.post-58760796266580273422016-04-01T15:21:46.279-07:002016-04-01T15:21:46.279-07:00From email:
राहुल जी ,
जिसने प्राण भरे प्राणी म...From email:<br /><br />राहुल जी , <br /><br />जिसने प्राण भरे प्राणी में उसको कहें कुकर्मी <br /><br />इससे ज्यादा और बुरा क्या सोचे कोई अधर्मी <br /><br />अपनी अपनी सोच सोचने का अधिकार तुम्हें है <br /><br />पर उसका तो कर्म यही जीवन दे रहा हमें है ॥ <br /><br /> गाली ग्रीष्म में देते हैं पर शरद ऋतू जब आये <br /><br /> सभी चाहते सूरज चमके कुछ तो जाड़ा जाए <br /><br /> अपने तपकर जो सुख दे कैसे कुकर्म कहलाए <br /><br /> नहीं उगे जो हफ्ते भर तो सबके सब मर जाएँ ॥ <br />Rahul Upadhyayahttps://www.blogger.com/profile/17340568911596370905noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2212278896517127466.post-40645490476713252742015-07-01T23:46:08.827-07:002015-07-01T23:46:08.827-07:00Different perspective on SunDifferent perspective on SunRKhttps://www.blogger.com/profile/08456941861013679843noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2212278896517127466.post-4475993784171456342015-06-30T07:22:12.780-07:002015-06-30T07:22:12.780-07:00Sunset पर एक अलग perspective... कभी यह सोचा नहीं। ...Sunset पर एक अलग perspective... कभी यह सोचा नहीं। अगर कोई आग उगलता है तो उसके जाने पर दुख कम होगा - यह तो समझ में आता है - मगर इतना प्रसन्न क्यों होना? जानेवाले ने हमें जो भी अच्छी moments दी हैं - कभी winter के दिनों में निकलकर थोड़ी गर्मी दी है - वह याद करते हुए, अच्छे मन से goodbye बोल देनी चाहिए और उसके आगे के सफर के लिए शांति की दुआ करनी चाहिए। मगर यह करना बहुत मुशकिल होता है...Anonymousnoreply@blogger.com