Saturday, May 24, 2025

इतवारी पहेली: 2025/05/25


इतवारी पहेली:


हथियार न उठाने की क़सम '## #

तो ठहरा दिया जाएगा तुम्हें #%# 


इन दोनों पंक्तियों के अंतिम शब्द सुनने में एक जैसे ही लगते हैं। लेकिन जोड़-तोड़ कर लिखने में अर्थ बदल जाते हैं। हर # एक अक्षर है। हर % आधा अक्षर। 


जैसे कि:


हे हनुमान, राम, जानकी

रक्षा करो मेरी जान की


ऐसे कई और उदाहरण/पहेलियाँ हैं। जिन्हें आप यहाँ देख सकते हैं। 


Https://tinyurl.com/RahulPaheliya


आज की पहेली का हल आप मुझे भेज सकते हैं। या यहाँ लिख सकते हैं। 

सही उत्तर न आने पर मैं अगले रविवार - 1 जून 2025 को - उत्तर बता दूँगा। 


राहुल उपाध्याय । 25 मई 2025 । स्पोकेन 




Re: इतवारी पहेलीः 2025/05/18



On Sat, May 17, 2025 at 11:29 PM Rahul Upadhyaya <kavishavi@gmail.com> wrote:

इतवारी पहेली:


जल-थल-नभ से कर के ### #

एक नई ऊर्जा देश भर में ## ##


इन दोनों पंक्तियों के अंतिम शब्द सुनने में एक जैसे ही लगते हैं। लेकिन जोड़-तोड़ कर लिखने में अर्थ बदल जाते हैं। हर # एक अक्षर है। हर % आधा अक्षर। 


जैसे कि:


हे हनुमान, राम, जानकी

रक्षा करो मेरी जान की


ऐसे कई और उदाहरण/पहेलियाँ हैं। जिन्हें आप यहाँ देख सकते हैं। 


Https://tinyurl.com/RahulPaheliya


आज की पहेली का हल आप मुझे भेज सकते हैं। या यहाँ लिख सकते हैं। 

सही उत्तर न आने पर मैं अगले रविवार - 25 मई 2025 को - उत्तर बता दूँगा। 


राहुल उपाध्याय । 18 मई 2025 । सिएटल 




Thursday, May 22, 2025

खाना खिलाना

किसी को खाना खिलाना ही काफ़ी नहीं होता है 

पानी भी पिलाना होता है 

हाथ भी धुलवाना पड़ता है 

तौलिया भी देना पड़ता है 

तौलिया धोने के लिए 

साबुन, बाल्टी, ब्रश का इंतज़ाम करना होता है 

सुखाने के लिए तार या रस्सी भी चाहिए 

अगले दिन बाथरूम भी मुहैया कराना होता है 


किसी को खाना खिलाना कोई बच्चों का खेल नहीं है 


राहुल उपाध्याय । 22 मई 2025 । सिएटल 



Saturday, May 17, 2025

इतवारी पहेलीः 2025/05/18


इतवारी पहेली:


जल-थल-नभ से कर के ### #

एक नई ऊर्जा देश भर में ## ##


इन दोनों पंक्तियों के अंतिम शब्द सुनने में एक जैसे ही लगते हैं। लेकिन जोड़-तोड़ कर लिखने में अर्थ बदल जाते हैं। हर # एक अक्षर है। हर % आधा अक्षर। 


जैसे कि:


हे हनुमान, राम, जानकी

रक्षा करो मेरी जान की


ऐसे कई और उदाहरण/पहेलियाँ हैं। जिन्हें आप यहाँ देख सकते हैं। 


Https://tinyurl.com/RahulPaheliya


आज की पहेली का हल आप मुझे भेज सकते हैं। या यहाँ लिख सकते हैं। 

सही उत्तर न आने पर मैं अगले रविवार - 25 मई 2025 को - उत्तर बता दूँगा। 


राहुल उपाध्याय । 18 मई 2025 । सिएटल 




Re: इतवारी पहेलीः 2025/05/11



On Sun, May 11, 2025 at 5:47 AM Rahul Upadhyaya <kavishavi@gmail.com> wrote:

इतवारी पहेली:


जिनके भी थे मुँह #%#, ###

बोलेः मज़ा चखाओ #%## # से


इन दोनों पंक्तियों के अंतिम शब्द सुनने में एक जैसे ही लगते हैं। लेकिन जोड़-तोड़ कर लिखने में अर्थ बदल जाते हैं। हर # एक अक्षर है। हर % आधा अक्षर। 


जैसे कि:


हे हनुमान, राम, जानकी

रक्षा करो मेरी जान की


ऐसे कई और उदाहरण/पहेलियाँ हैं। जिन्हें आप यहाँ देख सकते हैं। 


Https://tinyurl.com/RahulPaheliya


आज की पहेली का हल आप मुझे भेज सकते हैं। या यहाँ लिख सकते हैं। 

सही उत्तर न आने पर मैं अगले रविवार - 18 मई 2025 को - उत्तर बता दूँगा। 


राहुल उपाध्याय । 11 मई 2025 । सिएटल 




पाषाण

वो भी तुम्हें 

सूँघेगा 

चूमेगा 

छुएगा 

भरेगा अपनी बाँहों में


वो किसी और को भी 

सूँघेगा 

चूमेगा 

छुएगा 

भरेगा अपनी बाँहों में


तुम

हम तीनों का मन बहलाती हो


वह

तुम्हारा और उसका मन बहलाता है 


वस्त्र, भोजन, घर, मित्र 

सब एक से ज़्यादा होने चाहिए 


एक से पेट नहीं भरता 

भरना भी नहीं चाहिए 


भूख है तो जीवन है 

संतुष्ट रहना

यानी पाषाण होना 


राहुल उपाध्याय । 17 मई 2025 । सिएटल 


Friday, May 16, 2025

नासमझ है समाज

नासमझ है समाज कहता है जो

ख़ुद को बुरा-भला कहता है वो 


किसको पड़ी कैसा है तू 

हँसना है हँस, रोना है रो 


रहता ही क्या कुछ मुझमें मेरा पाप भी जो लेता मैं धो


कई दिन हुए, न कविता हुई 

लिखना ही क्यूँ जब कहना न हो


ये दुख, ये दर्द, कुछ होता नहीं 

यदि एक न होते इंसान ये दो


राहुल उपाध्याय । 16 मई 2025 । सिएटल