Saturday, April 27, 2019

पहेली

इतवारी पहेली:

जो करते हैं धर्म-परिवर्तन पर ***
उनसे आग्रह है कि कभी तो ** **

उपरोक्त दोनों पंक्तियों के अंतिम शब्द सुनने में एक जैसे ही लगते हैं। लेकिन जोड़-तोड़ कर लिखने में अर्थ बदल जाते हैं। हर * एक अक्षर है। 

जैसे कि:
हे हनुमानरामजानकी
रक्षा करो मेरी जान की

ऐसे कई और उदाहरण/पहेलियाँ हैं। जिन्हें आप यहाँ देख सकते हैं। 


आज की पहेली का हल आप मुझे भेज सकते हैं। या यहाँ लिख सकते हैं। 

सही उत्तर  आने पर मैं अगले रविवार - 5 मई को - उत्तर बता दूँगा। 

राहुल उपाध्याय  27 अप्रैल 2019  सिएटल

हल: चर्चा / चर्च आ 

Monday, April 22, 2019

मोदी बिना जैसे देश में विकास हुआ नहीं

मोदी बिना जैसे देश में विकास हुआ नहीं 
मोदीभक्ति बिना देशभक्तिदेशभक्ति नहीं 

जी में आता है 
मोदीभक्तों को
संकीर्णता के दुष्परिणामों से
अवगत कराता रहूँ
पर इन सबमें 
उम्मीद की किरण
दिखती नहीं 

काश ऐसा हो 
अपनी ग़लतियों का
अहसास इन्हें होता रहे
कोई वार हो
अल्पसंख्यकों पे अत्याचार हो
कभी कुछ बोले तो सही

मन की बात में 
सफ़ाई की आड़ में 
देश को उलझाए रखा 
रोज़गार की बात पे
कहते हैं
आँकड़े सही नहीं 

(गुलज़ार से क्षमायाचना सहित)
राहुल उपाध्याय  22 अप्रैल 2019  सिएटल

Saturday, April 20, 2019

मेरे घर आईं मेरी प्यारी माँ

मेरे घर आईं मेरी प्यारी माँ 
करके कई सरहदें पार

उनकी पूजा में सेवा का है भाव
उनके भजनों में प्रभु का है गान
भोग ऐसे कि जैसे हों मिष्ठान 
घण्टी बजे तो लगे छेड़े सितार 

उनके आने से मेरे जीवन को
मिल गया ध्येयमिल गई है राह
देख-भाल कर के उनकी जी नहीं भरता
कर लूँ मैं चाहे कितनी बार

जिन्होंने रखा था कभी मेरा ख़याल 
उनका रखूँ मैं बन के मशाल
ढाल उनकी मैंमैं उनका साथी हूँ
साथ उनके हूँ सातों वार

पूछा उनसे कि पहले क्यों नहीं आईं
हँस के बोली कि मैं हूँ तेरा प्यार
मैं तेरे दिल में थी हमेशा से
घर में आई हूँ आज पहली बार

(साहिर से क्षमायाचना सहित)
राहुल उपाध्याय  20 अप्रैल 2019  सिएटल

Thursday, April 18, 2019

आज इंसान बड़ा परेशान है

आज इंसान बड़ा परेशान है
थका-मांदा रोता हर शाम है

क्या हुआ जो ये इतना पढ़ा है?
पढ़-लिख कर क्या आगे बढ़ा है?
हर तरफ़ इसका माथा झुका है
हर मंदिर में हाथ जोड़े खड़ा है
यूँ का यूँ ही धरा ज्ञान-विज्ञान है 

है सशक्त पाँवमार्ग नहीं है
है धुआँ ही धुआँआग नहीं है
उठता है रोज़ सवेरे
पर खुली इसकी आँख नहीं है
जग के भी जग से अनजान है

जीने के दिन आज बेशक बढ़े हैं 
पर कोल्हू के बैल से सेठ से बँधे हैं
ख़ुद की आवाज़ से है डर इतना कि
कानों में तार लगातार लगे हैं 
रोज़ निर्बल होता ये इंसान है

राहुल उपाध्याय  18 अप्रैल 2019  सिएटल

Saturday, April 13, 2019

छप्पन इंच की छाती वाले

छप्पन इंच की छाती वाले
छापे मार के छा रहे हैं
निर्वाचन आयोग की ऐसी-तैसी
जो मन में आया वो बोल रहे हैं

अमरीका मे मुलर अंकल
मैग्निफाईंग लेंस लेकर ढूँढते रह गए
और यहाँ खुले आम रूस घूस
- मेरा मतलबइनाम
मोदी की गोदी में डाल रहा है

अंधेर नगरीचौपट राजा
दोनों दल के दानव 
दानवीर के स्वाँग रच रहे हैं
कोई बहत्तर हज़ार सालाना दे रहा
तो कोई हज़ार महीने-महीने
मानो हो ये गणित का पेपर
और ये हमारी क़ाबलियत आंक रहे हैं

एक तरफ़ हो अंधा कुआँ 
दूसरी तरफ़ हो खाई घनेरी
ऐसे में सिर्फ़ राम भरोसे
- मेरा मतलबकन्हैया भरोसे
प्रजातंत्र बचेगा
यह उम्मीद है मेरी

राहुल उपाध्याय  13 अप्रैल 2019  सिएटल

Saturday, April 6, 2019

वोट दूँ किसे मैं

उलझन सुलझे ना
उम्मीदवार अच्छे ना
वोट दूँ किसे मैं, वोट दूँ किसे

मेरे दिल का अंधेरा
हुआ और घनेरा
कि किसी के कहने से 
नहीं होगा सवेरा
खड़े दो निक्कमे
थक गया सोच-सोच के
वोट दूँ किसे मैं, वोट दूँ किसे

जब भी चुनाव आए
ये मुझे बहकाए
तरह-तरह के वादे करके
जिन्हें ये निभा पाए
भाजपा रास आई
कांग्रेस मन भाई
वोट दूँ किसे मैं, वोट दूँ किसे

जिसे भी पूछा उसने
कहा कि यहाँ से कट ले
इस देश की हालत 
बदली, बदले
जेपी-अन्ना भी
को मिली नाकामी
वोट दूँ किसे मैं, वोट दूँ किसे

(साहिर से क्षमायाचना सहित)
राहुल उपाध्याय 6 अप्रैल 2019 सिएटल

Monday, April 1, 2019

जूते नहीं रख सकते हैं जो मंदिर में रैक पर

जूते नहीं रख सकते हैं जो मंदिर में रैक पर
वो क्या चलेंगे पथ किसी नेक पर

जो कर नहीं सकते इंतज़ार किसी क़तार में
वो क्या रखेंगे श्रद्धा किसी दातार में 

जिनके लिए मंदिर-शिवाले पेट-पूजा के आधार हैं
उनके लिए क्या राम, और क्या राम की जय-जयकार है

हम और आप ही बस दूध के धुले हैं
बाक़ी सब तो बस बुरे ही बुरे हैं

यह संसार कुछ और नही, एक बाज़ार है
और मंदिर इस बाज़ार का एक औज़ार है

राहुल उपाध्याय 1 अप्रैल 2019 सिएटल