Saturday, July 31, 2021

इतवारी पहेली: 2021/08/01


इतवारी पहेली:


उनके बच्चों के नाम हैं ###-##

शायद है किसी बात की #### 


इन दोनों पंक्तियों के अंतिम शब्द सुनने में एक जैसे ही लगते हैं। लेकिन जोड़-तोड़ कर लिखने में अर्थ बदल जाते हैं। हर # एक अक्षर है। हर % आधा अक्षर। 


जैसे कि:


हे हनुमान, राम, जानकी

रक्षा करो मेरी जान की


ऐसे कई और उदाहरण/पहेलियाँ हैं। जिन्हें आप यहाँ देख सकते हैं। 


Https://tinyurl.com/RahulPaheliya 


आज की पहेली का हल आप मुझे भेज सकते हैं। या यहाँ लिख सकते हैं। 


सही उत्तर न आने पर मैं अगले रविवार - 8 अगस्त को - उत्तर बता दूँगा। 


राहुल उपाध्याय । 1 अगस्त 2021 । सिएटल















महका गुलाब

कभी-कभी दुआओं का 

जवाब आता है 

और कुछ इस तरह कि 

बेहिसाब आता है


कहाँ तो मयस्सर नहीं था

एक बूँद भी पानी

और अब आया तो ऐसे 

जैसे सैलाब आता है 

(मयस्सर = उपलब्ध)

(सैलाब = बाढ़)


कोई वीडियो बनाता है 

कोई कविता है लिखता

किसी को न किसी को 

बचाने का ख़्वाब आता है 


इस लम्बी ज़िन्दगी में भी 

आते हैं कुछ ऐसे क्षण

जब चल के ख़ुद बाँहों में 

महका गुलाब आता है 


बहुत आसां है जीतना जंग 

हज़ारों अहबाब के साथ

जिगर फ़ौलाद का हो तो 

ओलम्पिक में ख़िताब आता है 

(अहबाब = हबीब (दोस्त) का बहुवचन)


बुराईयों की फ़ेहरिस्त 

वैसे तो है बहुत लम्बी 

पर बीड़ी-सिगरेट का ही नाम 

होंठों पे जनाब आता है

(फ़ेहरिस्त = लिस्ट, सूची)


ढूँढते रहते हैं रात-दिन 

जो फुरसत के रात-दिन

हो जाते हैं पस्त जब 

पर्चा रंग-ए-गुलाब आता है 

(पर्चा रंग-ए-गुलाब = नौकरी से बर्ख़ास्तगी का आदेश )


चश्मा बदल-बदल कर 

कई बार देखा

हर बार नज़रों से दूर 

नज़र सराब आता है 

(सराब = मरीचिका, मृगतृष्णा)


जा के विदेश जाके पूत 

डालते हो डेरा 

वैसे मुल्क में कहाँ 

आफ़ताब आता है 

(जाके = जिसके)

(आफ़ताब = सूरज)


कुकर पे सीटी 

न जब तक लगी हो 

दाल में भी कहाँ 

इंकलाब आता है 


पराए भी अपनों की तरह 

पेश आते हैं 'राहुल'

वक़्त कभी-कभी ऐसा भी 

खराब आता है


राहुल उपाध्याय । 31 जुलाई 2021 । सिएटल 





Monday, July 26, 2021

वह मेज, वह कुर्सी, वह घड़ी

वह मेज

वह कुर्सी 

वह घड़ी 

सब निकाल दिए हैं तुमने 

अपने घर से 


वो झुमके 

वो कंगन 

वो हार 

उतार दिए हैं तुमने 

अपने तन से 


मेरी हँसी 

मेरा नाम 

मेरी कविताओं की पंक्तियाँ 

क्या निकाल सकोगी 

अपने मन से


राहुल उपाध्याय । 26 जुलाई 2021 । सिएटल

Monday, July 19, 2021

समझ लो ज़ीस्त के मानी

https://youtu.be/wuk4cbxYFWE


समझ लो ज़ीस्त के मानी

जहाँ हो सुख पाओगे 

सफ़र में ही है सुख सारा

जहां को ये बताओगे 


है जब तक हाथ में शक्ति 

तुम्हारी आँख में ज्योति 

जो देखे ही नहीं अब तक

वो मोती ढूँढ लाओगे 


जहाँ है प्यार का मारा

जहाँ में प्यार ही सब कुछ 

इसे तुम प्यार से देखो

प्यार ही प्यार गाओगे 


अगर हो हमसफ़र कोई 

राह छोटी नहीं होती

तुम्हारा ही है ये संघर्ष 

कहा ये मान जाओगे 


राहुल उपाध्याय । 14 जुलाई 2021 । सिएटल 

ज़ीस्त = जीवन

Sunday, July 18, 2021

इतवारी पहेली: 2021/07/18


इतवारी पहेली:


राम ने बनाई पहली #%# ## # 

हमने बनाई दस कम #%### # 


इन दोनों पंक्तियों के अंतिम शब्द सुनने में एक जैसे ही लगते हैं। लेकिन जोड़-तोड़ कर लिखने में अर्थ बदल जाते हैं। हर # एक अक्षर है। हर % आधा अक्षर। 


जैसे कि:


हे हनुमान, राम, जानकी

रक्षा करो मेरी जान की


ऐसे कई और उदाहरण/पहेलियाँ हैं। जिन्हें आप यहाँ देख सकते हैं। 


Https://tinyurl.com/RahulPaheliya 


आज की पहेली का हल आप मुझे भेज सकते हैं। या यहाँ लिख सकते हैं। 


सही उत्तर न आने पर मैं अगले रविवार - 25 जुलाई को - उत्तर बता दूँगा। 


राहुल उपाध्याय । 18 जुलाई 2021 । सिएटल















Thursday, July 15, 2021

इक बलवान सी लड़की ने मुझसे नाता जोड़ लिया

https://youtu.be/Xe5mKN-2Qys


लाज की सीमाएँ तोड़ी

डर भी घर का छोड़ दिया 

इक बलवान सी लड़की ने

मुझसे नाता जोड़ लिया 


उसने मुझको अपना समझा

उड़ गई नींद दीवाने की

आँखों से जब आँखें मिल गईं

मिल गई राह ख़ज़ाने की

उस संग जीवन ऐसा जैसे

ख़ुशियाँ हो मयखाने की

अब तक जो मैं पीता था

सब का सब ही छोड़ दिया 


अब न कोई प्यास बची है 

ना है भूख ज़माने की

साँसों में है प्यार की रंगत

लब पे गीत सुनाने की

प्यार का मतलब जो न समझें

तलब उन्हें समझाने की

घर-घर जा के मैं ये बोलूँ 

मैंने प्यार को ओढ़ लिया


राहुल उपाध्याय । 15 जुलाई 2021 । सिएटल 



Wednesday, July 14, 2021

जाम तन्हा ही पीया है मैंने

https://youtu.be/hWG-SypyQCs


जाम तन्हा ही पीया है मैंने

नाम आपका ना लिया है मैंने


आते-जाते रहेंगे सालों-साल  

मौसमों को कह दिया है मैंने


राज़ दिल के मैं क्या सुनाऊँगा

कभी कुछ भी नहीं किया है मैंने 


ख़ाक को ख़ाक हुई हासिल

ज़िन्दगी को यूँ जीया है मैंने


राहुल उपाध्याय । 13 जुलाई 2021 । सिएटल 


Sunday, July 11, 2021

इतवारी पहेली: 2021/07/11


इतवारी पहेली:


वाहक अंतिम यात्रा # ## #

कुछ नहीं मानते, कुछ ### #


इन दोनों पंक्तियों के अंतिम शब्द सुनने में एक जैसे ही लगते हैं। लेकिन जोड़-तोड़ कर लिखने में अर्थ बदल जाते हैं। हर # एक अक्षर है। हर % आधा अक्षर। 


जैसे कि:


हे हनुमान, राम, जानकी

रक्षा करो मेरी जान की


ऐसे कई और उदाहरण/पहेलियाँ हैं। जिन्हें आप यहाँ देख सकते हैं। 


Https://tinyurl.com/RahulPaheliya 


आज की पहेली का हल आप मुझे भेज सकते हैं। या यहाँ लिख सकते हैं। 


सही उत्तर न आने पर मैं अगले रविवार - 18 जुलाई को - उत्तर बता दूँगा। 


राहुल उपाध्याय । 11 जुलाई 2021 । सिएटल















Friday, July 9, 2021

पूछो न कैसे मैंने गीत बनाए

https://youtu.be/OoGTaHHmv68


पूछो ना कैसे मैंने गीत बनाए

इक गीत ऐसा, इक गीत वैसा

सब गीतों ने जान ली हाए 


कभी-कभी चंचल, कभी अति धीरा

कभी-कभी आनन्द, बहे कभी पीरा 

लिखते-गाते प्राण गँवाए 


कभी-कभी सोचूँ, लिख डाली गीता

फिर तभी सोचूँ, मैंने कुछ नहीं लिखा

जग के मन को रास जो आए


राहुल उपाध्याय । 9 जुलाई 2021 । सिएटल 

Thursday, July 8, 2021

मैं कैसे कह दूँ कि मैं तुम्हें जानता नहीं

मैं कैसे कह दूँ 

कि मैं तुम्हें जानता नहीं 

जबकि अच्छी तरह से वाक़िफ़ हूँ 

तुम्हारे रोम-रोम से


सर से पाँव तलक के

हर 

तिल से

दाग से

आग से

आह से


बा-ख़बर हूँ 

हर गिरते-उठते कम्पन से

अंगड़ाई से

तन में उभरते ज्वार से

आँखों में उतरते प्यार से

सुलाती हथेली की थपकार से

जगाती उँगलियों के दुलार से


मैं कैसे कह दूँ 

कि मैं तुम्हें जानता नहीं 

जबकि मैं जुड़ा हूँ 

तुम्हारे हर श्रंगार से

पाजेब की झंकार से

गले में लटके हार से

साँसों के तार से


मैं कैसे कह दूँ 

कि मैं तुम्हें जानता नहीं 

तुम मेरी नहीं 

तो ग़ैर भी नहीं 

दोस्ती नहीं 

तो बैर भी नहीं

न दूर हो तुम

न पास हो तुम

बहुत-बहुत-बहुत 

ख़ास हो तुम


मैं कैसे कह दूँ 

कि मैं तुम्हें जानता नहीं 


राहुल उपाध्याय । 8 जुलाई 2021 । सिएटल 




हमारी राह मुड़ चुकी

https://youtu.be/oRKZ9QSU-nA


हमारी राह मुड़ चुकी

अब किसे तुम मनाओगे

हमारी आग बुझ चुकी 

अब किसे तुम मनाओगे


सहारे सब के सब 

जगह-जगह से मिल गए

नहीं थे जो ख़्वाब में

वो भी आज मिल गए

किसी से आँख लड़ चुकी 

अब किसे तुम मनाओगे


पनप रहे हैं हम यहाँ 

किसी के प्यार में 

फ़िज़ा का रंग छा रहा है

मौसम-ए-बहार में 

हवा भी रुख बदल चुकी

अब किसे तुम मनाओगे


राहुल उपाध्याय । 6 जुलाई 2021 । सिएटल 



Sunday, July 4, 2021

जब से भर गए सादगी से हम

https://youtu.be/JJkAFEbpGRo


जब से भर गए सादगी से हम

तब से जी रहे शांति से हम


क्या भला हुआ, क्या बुरा हुआ

कुछ पता नहीं क्या सिला मिला

छोड़-छाड़ के जोड़-भाग को

बस आज में जी रहे हैं हम


आप हैं यहाँ। हम भी हैं यहाँ 

एक राह पे हम हैं दो जवाँ 

कब कहाँ मिले, कब जुदा हुए

जान के भी क्या कर लेंगे हम


राहुल उपाध्याय । 4 जुलाई 2021 । सिएटल 

Re: इतवारी पहेली: 2021/06/27



रवि, 27 जून 2021 को पू 12:01 पर को Rahul Upadhyaya <kavishavi@gmail.com> ने लिखा:

इतवारी पहेली:


जो करते हैं बात नोक पर ### #

कौन है जो रहना चाहेगा ## ## #


इन दोनों पंक्तियों के अंतिम शब्द सुनने में एक जैसे ही लगते हैं। लेकिन जोड़-तोड़ कर लिखने में अर्थ बदल जाते हैं। हर # एक अक्षर है। हर % आधा अक्षर। 


जैसे कि:


हे हनुमान, राम, जानकी

रक्षा करो मेरी जान की


ऐसे कई और उदाहरण/पहेलियाँ हैं। जिन्हें आप यहाँ देख सकते हैं। 


Https://tinyurl.com/RahulPaheliya 


आज की पहेली का हल आप मुझे भेज सकते हैं। या यहाँ लिख सकते हैं। 


सही उत्तर न आने पर मैं अगले रविवार - 4 जुलाई को - उत्तर बता दूँगा। 


राहुल उपाध्याय । 27 जून 2021 । सिएटल


प्रेम

प्रेम वही होता है

जो बर्तन की खटपट से

भाँप लेता है

कि रात की दो बज गई है

और अब तक खाना नहीं खाया है


प्रेम वही होता है

जो आवाज़ की रफ़्तार से

मन के भाव समझ लेता है 


प्रेम वही होता है

जो गौण से गौण मौन के भी

अल्फ़ाज़ पकड़ लेता है 


प्रेम में

फ़ोन का कनेक्शन लाख ख़राब हो

दिल का तार जुड़ा रहता है


राहुल उपाध्याय । 4 जुलाई 2021 । सिएटल 


इतवारी पहेली: 2021/07/04

इतवारी पहेली:


हुनर वाला है जो ####

क्यूँ उसके गले में # # ##?


इन दोनों पंक्तियों के अंतिम शब्द सुनने में एक जैसे ही लगते हैं। लेकिन जोड़-तोड़ कर लिखने में अर्थ बदल जाते हैं। हर # एक अक्षर है। हर % आधा अक्षर। 


जैसे कि:


हे हनुमान, राम, जानकी

रक्षा करो मेरी जान की


ऐसे कई और उदाहरण/पहेलियाँ हैं। जिन्हें आप यहाँ देख सकते हैं। 


Https://tinyurl.com/RahulPaheliya 


आज की पहेली का हल आप मुझे भेज सकते हैं। या यहाँ लिख सकते हैं। 


सही उत्तर न आने पर मैं अगले रविवार - 11 जुलाई को - उत्तर बता दूँगा। 


राहुल उपाध्याय । 4 जुलाई 2021 । सिएटल


Thursday, July 1, 2021

अवतार जो नर है

https://youtu.be/LiUQ1pVkfNI


हर बार की मंज़िल है ये

अवतार जो नर है

हर बार उसे आना है

और जाना सुधर है


हाथों ही से हैं

उसने दीप जलाए

अपनी ही मेहनत से

पिरामिड हैं बनाए

अपने ही हुनर की हुई

कब ये ख़बर है


जानवर है मगर

जानवर से जुदा है 

खुद ही करे और 

कहे रब ने किया है

अपने ही करम से 

जाता वो उबर है


राहुल उपाध्याय । 1 जुलाई 2021 । सिएटल