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Thursday, January 14, 2021

इन्सान हैं हम पापी नहीं हैं

यहाँ देखें/सुनें:

https://youtu.be/bJsBcKWqQao


इंसान हैं तो डरना क्या 

जब इंसान हैं तो डरना क्या

इंसान हैं हम पापी नहीं हैं

पग-पग पल-पल डरना क्या


रोज़ हमें है जश्न मनाना

ग़म भी दे दे चाहे ज़माना 

जीत उसी की जो हार न माने

नैनों में जल भरना क्या 


जब तक साँसें आस रहेगी

शम्मा हमारी रोशन रहेगी

जब तक जीना तब तक जीना

चिंता की चिता पे मरना क्या


रूक न सकेगा काम हमारा

रोशन होगा नाम हमारा

ठान लिया जब कोई इरादा 

करने से उसे मुकरना क्या 


(शकील बदायुनी से क्षमायाचना सहित)

राहुल उपाध्याय । 14 जनवरी 2021 । सिएटल 


Thursday, January 7, 2021

ऐ लोकतंत्र, ज़िन्दाबाद

यहाँ देखें/सुनें:

https://youtu.be/emlc0a_Batc  


सत्ता की भूख में

ज़ालिमों की भीड़ होती है

ख़ुशी मनाओ

लोकतंत्र की जीत होती है


ज़िन्दाबाद, ज़िन्दाबाद

ऐ लोकतंत्र ज़िन्दाबाद

दहशत की ज़ंजीरों से तू

रहता है आज़ाद


पूरब में, पश्चिम में तू

और तू ही है यूरोप में

उत्तर में, दक्षिण में तू

और तू ही है यू-एस में

तेरे दम से धरती की

दुनिया है आबाद


प्यार की आँधी रुक न सकेगी

नफ़रत की दीवारों से

ख़ून-ए-बहुमत हो न सकेगा

खंजर से तलवारों से

मर जाते हैं आतंकी  

ज़िन्दा रह जाती है याद


कुछ बग़ावत कर बैठे तो

उनकी कमर तू तोड़ दे

राह दिखा दे भटकों को 

और नैतिकता से जोड़ दे 

सीना ताने सब से निपटे

कुछ ना करे फ़रियाद


ताज हुकूमत मज़हब नहीं है

उनको डर कहाँ

जिस घर में इंसाफ़ ही हो

वहाँ डर कहाँ 

इंसाफ़ के दुश्मन होश में आ 

हो जायेगा बरबाद


(शकील बदायूनी से क्षमायाचना सहित)

राहुल उपाध्याय । 7 जनवरी 2021 । सिएटल 

Saturday, December 5, 2020

आज पुरानी बातों से

आज पुरानी बातों से

कोई मुझे बकवास न दे

नर्क की झूठी दलील न दे

स्वर्ग का सुनहरा ख़्वाब न दे


बीते दिनों की याद थी जिनमें

मैं वो तराने भूल चुका

आज नई मंज़िल है मेरी

कल के ठिकाने भूल चुका

न वो दिल न सनम

न वो दीन-धरम

अब दूर हूँ सारे गुनाहों से


टूट चुके सब नाम के बंधन

आज कोई ज़ंजीर नहीं

शीशा-ए-दिल में पाखंडों की

आज कोई तस्वीर नहीं

अब शाद हूँ मैं

आज़ाद हूँ मैं

कुछ काम नहीं सलाख़ों से


जीवन बदला दुनिया बदली

मन को अनोखा ज्ञान मिला

आज मुझे अपने ही दिल में

एक नया इन्सान मिला

पहुँचा हूँ वहाँ

नहीं दूर जहाँ

अंजाम भी मेरी निगाहों से


(शकील बदायूनी से क्षमायाचना सहित)

राहुल उपाध्याय । 5 दिसम्बर 2020 । सिएटल 

https://youtu.be/hfMBnx8yZRI


Thursday, October 8, 2020

मन तड़पत


मूवी होऽऽऽ

मन तड़पत मूवी दरसन को आज
मोरे उस बिन बिगड़े सकल काज
विनती करत, हूँ, रखियो लाज

कोरोना काल का मैं हूँ जोगी
मूवी रिलीज़ न जाने कब होगी
सुन मोरे व्याकुल मन की बात

बिन मूवी गान कहाँ से पाऊँ
दीजो गान वही सुन गाऊँ
सब मूवी जन पे तुम्हारा राज

(शकील बदायूनी से क्षमायाचना सहित)
राहुल उपाध्याय । 7 अक्टूबर 2020 । सिएटल

Saturday, October 3, 2020

जुर्म किया तो डरना क्या

जुर्म किया तो डरना क्या

जुर्म किया तो वकील भी है

किसी के बाप से डरना क्या


आज करेंगे मन की मर्जी 

जान भी जाए चाहे ज़माना

मौत वही जो मीडिया बेचे 

बाकी लोगों का मरना क्या


हमने जो ठानी हो के रहेगी

ये यही इसी रात चिता में जलेगी 

इसका जीना, इसका मरना 

इसके हक़ में करना क्या 


क्या बिगाड़ेगा कानून हमारा

चारों तरफ़ हैं पावर हमारा 

डरते नहीं जब किसी खुदा से

बन्दों से भला डरना क्या


(शकील बदायूनी से क्षमायाचना सहित)

राहुल उपाध्याय । 3 अक्टूबर 2020 । सिएटल 


Saturday, September 26, 2020

कहीं ड्रग्स मिले कहीं बिल

https://youtu.be/eCarTOPXr0o


कहीं ड्रग्स मिले कहीं बिल

ज़रा सोच ले ऐ प्रेस वाले

तेरी कौन सी है मंज़िल


मेरे दर्द से तुझे इंकार है 

जहाँ मैं नहीं वहीं अख़बार है 

मेरी बात रही मेरे दिल


ना मैं दीपिका हूँ ना कोई सुशांत हूँ

एक दर्द भरी आवाज़ हूँ

जिसे सुनना है मुश्किल 


दुश्मन हैं हज़ारों यहाँ जान के

ज़रा मिलना नज़र पहचान के

कई रूप में हैं क़ातिल


(शकील बदायुनी से क्षमायाचना सहित)

राहुल उपाध्याय । 26 सितम्बर 2020 । सिएटल 


Sunday, July 5, 2020

गुरू बना है मीडियम

गुरू बना है मीडियम

या मीडियम हुआ गुरू है

कहना बहुत है मुश्किल 

ये बढ़त है या हुआ है घाटा


'गर ये बढ़त है

तो सामने है मोटापा

और यदि है ये घाटा

तो किस काम का है घाटा


हमने बनाई हैं जितनी

सूरत अपने दिल की

हर सूरत में आए हमको

नज़र घाटा ही है ज़्यादा 


पड़ें जब ग़मों के छालें

हुए फ़ौत मिटने वाले

न आए गुरू कहीं भी

करने को ग़म को आधा


कोई गुरू का खेल देखे

के सुन ले उनकी बातें 

वो क़दम क़दम पे जीते

मैं क़दम-क़दम पे हारा


(शकील बदायूनी से क्षमायाचना सहित)

राहुल उपाध्याय । 5 जुलाई 2020 । सिएटल

फ़ौत = मृत, नष्ट 



Sunday, September 20, 2015

जीत गए तो डरना क्या

जीत गए तो डरना क्या
जब जीत गए तो डरना क्या
चुनाव जीता है कोई नौकरी नहीं ली
खट-खट के काम करना क्या

फ़र्ज़ हमारा वादे करना
जनता का काम उन्हें पूरा करना
जब जनता ही नहीं काम करेंगी
तो नेताओं को निलम्बित करना क्या

पाँच साल चलेगा हमारा शासन
पाँच साल बिछेगा हमारा आसन
उसके बाद का सोच-सोच के
मन को आशंका से भरना क्या

जब-जब मन होगा दौरा करेंगे
कभी यहाँ तो कभी वहाँ करेंगे
राजपाट में हैं सैंकड़ों सुविधा
बंगला-गाड़ी-झरना क्या

(शकील बदायूनी से क्षमायाचना सहित)

Wednesday, April 22, 2009

घर छोड़ के हम आए हैं

घर छोड़ के हम आए हैं
तो रहना ही पड़ेगा
रह-रह के अपने आप को
छलना ही पड़ेगा

वो घर भी था अपना ही घर
ये घर भी है अपना
कह-कह के यही बात हमें
सच्चाई से है बचना
हर स्वार्थ को नकाब से
ढकना ही पड़ेगा

क्या सोचा था, क्या पाएंगे,
क्या पा के रहेंगे?
जो मांगा वो मिल जाए
तो क्या लौट सकेंगे?
हर रोज़ हमें ख़्वाब नया
बुनना ही पड़ेगा

क्या सोचते हैं, चाहते हैं
किस से कहेंगे?
इतने बड़े जहाँ में
किसे अपना कहेंगे?
मन मार के तनहाई में
घुटना ही पड़ेगा

जो चाँद पूजे, पत्थर पूजे
वो धर्म नहीं है
जो धन दे दे, धर्म वही,
कर्म वही है
फल पाने के लिए, जड़ों से
हटना ही पड़ेगा

है आज यहाँ काम
यहाँ नाम है अपना
कल को कोई
पूछेगा नहीं नाम भी अपना
डर-डर के हमें रात-दिन
खटना ही पड़ेगा

जाए न जाए कहीं
जग से जाएंगे
जाएंगे जग से लेकिन
सो के जाएंगे
हर ख़्वाब को नींद में
मिटना ही पड़ेगा

सिएटल 425-445-0827
28 मार्च 2009
(
शकील बदायुनी से क्षमायाचना सहित)

Sunday, April 13, 2008

21 वीं सदी का कवि सम्मेलन

कवि सम्मेलन में आए हैं तो सुनना ही पड़ेगा
फिर से वही घिसा-पीटा चुटकला सुनना ही पड़ेगा

लालू, मनमोहन, सोनिया को
सहते ही रहेंगे
आलू-समोसा-चाट आदि
खाते ही रहेंगे
जब टिकट है खरीदा
तो कम से कम पेट तो भरेगा
कवि सम्मेलन में …

कवि है वही कवि
जिसे न लाज शरम है
ताली की भीख मांगना
जिसका एक मात्र धरम है
गिर गिर के खुद को
एक दिन नष्ट करेगा
कवि सम्मेलन में …

कब तक चलेगा ये?
कब जा के रुकेगा?
कब तक भला श्रोता
ऐसे ही पैसे फूंकेगा?
blog और YouTube के आगे
सम्मेलन बेमौत मरेगा
कवि सम्मेलन में …

वाशिंगटन डी सी,
13 अप्रैल 2008
(शकील बदायुनी से क्षमा याचना सहित)

Thursday, March 13, 2008

मिलते ही dollar दिल हुआ दीवाना US का

मिलते ही dollar दिल हुआ दीवाना US का
dollar जोड़ना बन गया तराना ज़िंदगी का

पूछो ना दौलत का असर, हाय न पूछो, हाय ना पूछो - 2
मौका मिलते ही हो गया, citizen US का
dollar जोड़ना बन गया तराना ज़िंदगी का
मिलते ही dollar दिल हुआ दीवाना US का

दस्तें ही न लग जाए कहीं, पीते ही पानी, पीते ही पानी -2
घर का पानी पी सके ना, दुर्भाग्य ये उस का
dollar जोड़ना बन गया तराना ज़िंदगी का
मिलते ही dollar दिल हुआ दीवाना US का

सिएटल,
13 मार्च 2008
(शकील बदायुनी से क्षमा याचना सहित)