Thursday, July 29, 2010

हिंदी मेरी मातृ-भाषा, नहीं है मात्र भाषा

जब चोर है एक कर्ता और चोरी उसकी क्रिया
तो फिर योग क्यों है क्रिया और योगी उसका कर्ता?


पूछा जब बेटे ने मुझसे, दिया ये मैंने फ़ण्डा
हिंदी मेरी मातृ-भाषा, नहीं है मात्र भाषा
इसीलिए अच्छा ये होगा, नहीं लो तुम मुझसे पंगा


वैसे तो हर भाषा में गुण-दोष होते हैं लेकिन बेटा
उसे कैसे बुरा मैं कह दूँ जिसकी गोद में मैं लेटा?


सुनाई मीठी लोरी जिसने, सुनाई परी-गाथा
गाया जन-गण जिसमें मैंने, गाया भारत भाग्य-विधाता
पढ़ें प्रेमचँद के ताने-बाने, पढ़ें व्यंगकार शरद जोशी
सुनें शायर साहिर-कैफ़, सुनें आनंद बक्षी


इन सबको मैं कैसे कह दूँ इनकी भाषा कच्ची?
जबकि इनको ही पढ़-सुन कर मेरी धूमिल छवि है निखरी


हिंदी मेरी मातृ-भाषा, नहीं है मात्र भाषा
इसीलिए अच्छा ये होगा, नहीं लो तुम मुझसे पंगा


हिंदी में ही सोचूँ मैं और हिंदी मेरी वाणी
हिंदी ही कविता मेरी, हिंदी मेरी कहानी


ये न होती तो न होती पूरी मेरी शिक्षा
कहने को कमाता लेकिन होती सच में भिक्षा


जिस इंसां की माता नहीं, सोचा होगा कितना दुखित?
और जो कोई माँ होते हुए भी रहे उससे वंचित
इस दुनिया में उससे बड़ा नहीं कोई और श्रापित


सिएटल । 513-341-6798
29 जुलाई 2010

Monday, July 19, 2010

पहेली 34

जिसका मन करे, वो ??? करे (3)
लेकिन वो क्या करे, जिसका ?? ? करे? (2, 1)

उदाहरण:
क -
जब तक देखा नहीं ??? (3)
अपनी खामियाँ नज़र ?? ?(2, 1)

उत्तर:
जब तक देखा नहीं आईना
अपनी खामियाँ नज़र आई ना

ख -
मफ़लर और टोपी में छुपा ?? ?? (2, 2)
जैसे ही गिरी बर्फ़ और आई ??? (3)

उत्तर:
मफ़लर और टोपी में छुपा सर दिया
जैसे ही गिरी बर्फ़ और आई सर्दियाँ

अधिक मदद के लिए अन्य पहेलियाँ यहाँ देखें:

Monday, July 12, 2010

आप कहें और हम न खाए

आप कहें और हम न खाए, इतने हम बदजात नहीं
डायबीटिज़ की हम यारो करते कुछ परवाह नहीं


चाहनेवालों की महफ़िल में रोगों का कोई काम नहीं है
बीमारी बीमारी फ़क़त है, बीमारी यमराज नहीं है
ये आड़े आए खुशियों के, इतनी इनकी धाक नहीं


मैथी और करेले खा के कर देंगे हताश इसे हम
दौड़-दौड़ के, भाग-भाग के, कर देंगे हताश इसे हम
इतनी आसानी से इससे खानेवाले हम मात नहीं


आम और खास मिठाईयों की कैसे कह दे चाह नहीं है?
हलवा-पूड़ी, लड्डू-पेड़ों की कैसे कह दे आस नहीं है?
ये न हो तो मानो जैसे, सावन में हो बरसात नहीं




सिएटल । 425-898-9325
12 जुलाई 2010
(अमित खन्ना से क्षमायाचना सहित)
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बदजात = अधम, नीच
डायबीटिज़ = Diabetes
फ़क़त = सिर्फ़

Monday, July 5, 2010

रचना में नहीं बसे रचयिता

दुल्हन वही जो पिया मन भाए
भाषा वही जो बात कह जाए
कविता वही जो दिल छू जाए
शब्द-शब्द से खुशबू आए


कभी हँसाए, कभी रूलाए
याद रहे, कभी भूल न पाए
सोते से जो तुम्हें जगाए
जीवन में परिवर्तन लाए


लिखने लगो तो न लिखी जाए
अपने-आप ही बनती जाए
कविता है इस सृष्टि जैसी
बिन रचे ही रचती जाए


रचना में नहीं बसे रचयिता
दुनिया फिर भी उसे ढूँढती जाए
दुनिया कितनी है नादां यारो
कविता छोड़ कवि पूजती जाए


सिएटल | 425-898-9325
5 जुलाई 2010

Friday, July 2, 2010

रेण्डम प्लाण्ट

रसोई की खिड़की
और फ़ेंस के बीच के
छोटे से गलियारे में
एक रेण्डम प्लाण्ट निकल आया है


उसके बड़े-बड़े पत्ते
बड़े खूबसूरत और चमकीले हैं


न किसी ने उसे बोया
और न ही कोई उसे पालता-पोसता है
फिर भी न जाने क्या है
जो मुझे उससे जोड़ता है


मन करता है
बढ़ के उसे छू लूँ
लेकिन खिड़की में
काँच है
काँच के आगे जाली है


फ़ेंस के पीछे
कई सारे घने, लम्बे एवरग्रीन हैं
लेकिन
उन एवरग्रीन से
कहीं ज्यादा ग्रीन
इस पेड़ के
चमकीले
नवजात पत्ते हैं


तीन साल से इस घर में रह रहा हूँ
लेकिन पहले कभी इसे देखा नहीं


लगता है बरसाती है
आता है जाता है


रसोई की खिड़की
और फ़ेंस के बीच के
छोटे से गलियारे में
एक रेण्डम प्लाण्ट निकल आया है …


सिएटल | 425-898-9325
2 जुलाई 2010
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रेण्डम प्लाण्ट = random plant
फ़ेंस = fence
एवरग्रीन = evergreen
ग्रीन = green