Saturday, February 27, 2021

इतवारी पहेली: 2021/02/28


इतवारी पहेली:


हमारा नहीं था कमाल ## #

तभी तो जीत का ग़ुब्बारा ### 


इन दोनों पंक्तियों के अंतिम शब्द सुनने में एक जैसे ही लगते हैं। लेकिन जोड़-तोड़ कर लिखने में अर्थ बदल जाते हैं। हर # एक अक्षर है। हर % आधा अक्षर। 


जैसे कि:


हे हनुमान, राम, जानकी

रक्षा करो मेरी जान की


ऐसे कई और उदाहरण/पहेलियाँ हैं। जिन्हें आप यहाँ देख सकते हैं। 


Https://tinyurl.com/RahulPaheliya 


आज की पहेली का हल आप मुझे भेज सकते हैं। या यहाँ लिख सकते हैं। 


सही उत्तर न आने पर मैं अगले रविवार - 7 मार्च को - उत्तर बता दूँगा। 


राहुल उपाध्याय । 28 फ़रवरी 2021 । सिएटल















Monday, February 22, 2021

बिटकॉइन जिसे कहते हैं

बिटकॉइन जिसे कहते हैं 

एक ऐसी लुनेसी है

गिर जाए तो सट्टा है

बढ़ जाए तो करेंसी है


अच्छा सा कोई प्रोडक्ट 

अच्छी सी कोई सर्विस

देते हो तो खोलो

वरना बेकार की एल-एल-सी है


बरसात का बादल तो 

दीवाना है क्या जाने 

किस राह से बचना है 

किस खेत में इमरजेंसी है


ग़म हो कि ख़ुशी दोनों 

कुछ दिन के रूम मेट्स हैं

फिर कोई न अपना है

वेकेंसी ही वेकेंसी है


(निदा फ़ाज़ली से क्षमायाचना सहित)

राहुल उपाध्याय । 21 फ़रवरी 2021 । सिएटल 

https://youtu.be/2IXUdmCicMM 





Sunday, February 21, 2021

गाड़ी

उसे मेरी लाल टी-शर्ट नहीं पसन्द थी

इसे हाइकिंग शूज़


लगता है

मेरी गाड़ी

फिर से चल पड़ी है 

कोई तो है जिसे

मेरे अच्छे-बुरे की पड़ी है 


इश्क़ 

ऐसा ही होता है


इश्क़ 

ऐसे ही होता है


सब पसन्द आ जाए

तो औपचारिकता लगती है

सब नापसंद हो

तो घर की मुर्ग़ी लगती है


राहुल उपाध्याय । 21 फ़रवरी 2021 । सिएटल 




Saturday, February 20, 2021

इतवारी पहेली: 2021/02/21


इतवारी पहेली:


मेरी मात और उनकी हमेशा ## ##

इसलिए छोड़ आए हम वह ### #


इन दोनों पंक्तियों के अंतिम शब्द सुनने में एक जैसे ही लगते हैं। लेकिन जोड़-तोड़ कर लिखने में अर्थ बदल जाते हैं। हर # एक अक्षर है। हर % आधा अक्षर। 


जैसे कि:


हे हनुमान, राम, जानकी

रक्षा करो मेरी जान की


ऐसे कई और उदाहरण/पहेलियाँ हैं। जिन्हें आप यहाँ देख सकते हैं। 


Https://tinyurl.com/RahulPaheliya 


आज की पहेली का हल आप मुझे भेज सकते हैं। या यहाँ लिख सकते हैं। 


सही उत्तर न आने पर मैं अगले रविवार - 28 फ़रवरी को - उत्तर बता दूँगा। 


राहुल उपाध्याय । 21 फ़रवरी 2021 । सिएटल


हल: शह रही/शहर ही 




Thursday, February 18, 2021

क्या प्यार उसे कहते हैं

क्या प्यार उसे कहते हैं

जिसमें 

जब उसे देखूँ 

वह कहे शृंगार देखो 

जब शृंगार देखूँ 

कहे मुझे देखो


क्या प्यार उसे कहते हैं

जिसमें 

जब वो घर जाए

उदास हो जाए

बाय कहते वक़्त 

आँख भर आए


क्या प्यार उसे कहते हैं

जिसमें 

मैं एक माँगूँ 

वह दस भेजे

सेल्फ़ी में

जन्नत का सुख भेजे


क्या प्यार उसे कहते हैं

जिसमें 

लोक-लाज को 

ध्यान में रखकर 

वह लोक-लाज 

सब तज बैठे


क्या प्यार उसे कहते हैं

जिसमें 

वो अलार्म से नहीं

मेरी कॉल से उठे

ब्रश करते वक़्त भी

न फ़ोन रखे 


क्या प्यार उसे कहते हैं

जिसे 

समझदार 

ना समझे

और नासमझ 

सब समझे


राहुल उपाध्याय । 18 फ़रवरी 2021 । सिएटल 



Tuesday, February 16, 2021

कहीं पॉर्री हो रही है

कहीं पॉर्री हो रही है

कहीं टॉमी की बातें 


किसान?

किसान किस खेत की मूली है?

और सुशांत?

ओ हेलो

हमें यह नहीं पता कि 

पुलवामा कब और कहाँ हुआ था

और तुम सुशांत की बात करते हो


हम तो मीम की गंगा में हाथ धोते हैं

हादसे सुर्ख़ियों में रहते हैं

हम स्क्रोल कर के 

मोती भाँप लेते हैं

कभी रोहित के शतक की वाह-वाह करते हैं

तो कभी भारती को ताने मारते हैं


सब का अपना-अपना शग़ल है

और यही जीवन है


राहुल उपाध्याय । 16 फ़रवरी 2021 । सिएटल 

मेरे मैनेजर


https://youtu.be/VIbLit_vLbY 


मेरे दिल से ओ मैनेजर

तूने अच्छी दिल्लगी की है

के बन के बॉस

अपने वर्कर से

बेवफ़ाई की है


मेरे मैनेजर तू मेरी 

क्वालिफ़िकेशन्स को तरसे

मुझे कम देने वाले 

तू भी फ्रेक्शन्स को तरसे


तू फूल बने पतझड़ का, 

तुझपे बहार न आए कभी

मेरी ही तरह तू तड़पे

तुझको क़रार न आए कभी

सड़े तू इस तरह कि 

रिकॉग्निशन्स को तरसे


तेरे ऑप्शन्स एेसे डूबे 

उनका भी कोई दाम न हो

तेरे ग्रुप के पास बेदर्दी 

कोई बिलेबल काम न हो

तू फन्ड्स तो क्या 

किसी की डोनेशन्स को तरसे


तेरे घर से भी ज़्यादा 

वीरां कोई वीराना न हो

तू भटके उम्र भर तेरा 

दुनिया में कोई ठिकाना न हो

तू ग्रीन कार्ड तो क्या 

विसा एच-वन को तरसे


(आनंद बक्षी से क्षमायाचना सहित)

राहुल उपाध्याय । 2001 । सेन फ्रांसिस्को 


Monday, February 15, 2021

प्रभु तुम याद आए

https://youtu.be/ud02SDVOeJw


जब-जब क़हर बरसा

और फूल मुरझाए

प्रभु तुम याद आए


जब-जब ज़हर फैला

दंगों ने घर जलाए

प्रभु तुम याद आए


अपना कोई तराना

हमने नहीं बनाया

किसी और के ही कल से

हमने है कल बनाया


जब-जब उखाड़े मुर्दे

और ज़िंदे हैं जलाए

प्रभु तुम याद आए


फैलाने नूर तेरा

हमने हैं घर जलाए

पूजा हो तेरी जमकर

आडंबर और बढ़ाए 


जब-जब ढहाए मंदिर

और महल हैं बनाए

प्रभु तुम याद आए


जीवन है क्या इसको

हमने कभी ना जाना

सब हैं यहाँ मुसाफ़िर

सबको है दूर जाना

जब राज़ खुलता जाए

और उमर ढलती जाए

प्रभु तुम याद आए


(आनंद बक्षी से क्षमायाचना सहित)

राहुल उपाध्याय । 15 फ़रवरी 2021 । सिएटल 

Sunday, February 14, 2021

आशा ही आशा के गीत वो गाता है

https://youtu.be/F8Iwji_GG_0


ग़म लाख आए

दिन-रात आए

मन को मेरे पर 

डरा न पाए


अब तो मेरा मन

रोज़ ही गाता है 

आशा ही आशा के 

गीत वो गाता है


न जाने कैसा एहसास है

साँस ही है जो बस ख़ास है

क्या नशा इस बात का

मुझपे सनम छाने लगा

कोई न जाने क्या हो जाता है

आशा ही आशा के गीत वो गाता है


क्या ख़ूब है ये मेरा यक़ीन 

मुझको है बस मुझपे यक़ीन 

परेशानियों से 

दिल दूर-दूर जाने लगा

तनहाई में भी अब ख़ुश हो जाता है

आशा ही आशा के गीत वो गाता है


(समीर से क्षमायाचना सहित)

राहुल उपाध्याय । 14 फ़रवरी 2021 । सिएटल 







Saturday, February 13, 2021

इतवारी पहेली: 2021/02/14


इतवारी पहेली:


लाख मना किया पर मीरा ## #

प्रेम के आगे रिश्ते की एक # ##


इन दोनों पंक्तियों के अंतिम शब्द सुनने में एक जैसे ही लगते हैं। लेकिन जोड़-तोड़ कर लिखने में अर्थ बदल जाते हैं। हर # एक अक्षर है। हर % आधा अक्षर। 


जैसे कि:


हे हनुमान, राम, जानकी

रक्षा करो मेरी जान की


ऐसे कई और उदाहरण/पहेलियाँ हैं। जिन्हें आप यहाँ देख सकते हैं। 


Https://tinyurl.com/RahulPaheliya 


आज की पहेली का हल आप मुझे भेज सकते हैं। या यहाँ लिख सकते हैं। 


सही उत्तर न आने पर मैं अगले रविवार - 21 फ़रवरी को - उत्तर बता दूँगा। 


राहुल उपाध्याय । 14 फ़रवरी 2021 । सिएटल


हल: नाच ली / ना चली















Thursday, February 11, 2021

तू जान मेरी

तू वायरस नहीं 

कि तुझसे हाथ धो लूँ 

तू मास्क नहीं 

कि तुझे उतार फेंकूँ 

तू मेरी धड़कन है

तुझे सीने से लगा रखा है 


तू वैक्सीन नहीं 

कि सबमें बाँट दूँ

तू कोरोना नहीं 

कि मुख मोड़ लूँ 

तू ख़ुशबू है 

तुझे नस-नस में बसा रखा है


तू साल नहीं 

कि कैलेंडर से ढाँप दूँ 

तू खबर नहीं 

कि पुरानी करार दूँ

तू जान मेरी

तुने मुझे बचा रखा है


राहुल उपाध्याय । 11 फ़रवरी 2021 । सिएटल 


Tuesday, February 9, 2021

मैं ग़ालिब हूँ, मैं मीर हूँ

मैं ग़ालिब हूँ, मैं मीर हूँ 

किसी के कमान का न तीर हूँ 


है सबका अपना वेद कोई

मैं खुद ही दवा खुद पीर हूँ


हैं दामन पे जो दाग मेरे

मैं उनसे हुआ अमीर हूँ 


ज़हर पीऊँ मुझे रास नहीं

मैं पीता ना कोई खीर हूँ


तुम मिले मुझे सब मिला

मैं मालामाल फ़क़ीर हूँ


राहुल उपाध्याय । 9 फ़रवरी 2021 । सिएटल 


Sunday, February 7, 2021

प्यार किया करता हूँ

है शिकवा उन्हें मैं प्यार किया करता हूँ

फ़क़त फक्र मुझे मैं प्यार किया करता हूँ 


ज़माने भर के ग़मों की है एक भीड़ यहाँ 

उन्हें तज के मैं प्यार किया करता हूँ 


न इसका हूँ, न उसका हूँ, न किसी का हूँ मैं 

हर कली से मैं प्यार किया करता हूँ 


न मिलाई कुंडली, न मुहूर्त निकाला है कभी

सुबह से शाम से मैं प्यार किया करता हूँ


न सोचा, न समझा, न परखा है कभी 

सरफिरा मैं, मैं प्यार किया करता हूँ


राहुल उपाध्याय । 7 फ़रवरी 2021 । सिएटल 

——

फ़क़त फक्र = केवल गर्व








Saturday, February 6, 2021

इतवारी पहेली: 2021/02/07


इतवारी पहेली:


मसला कठिन रोटी का, ## #

सो बढ़ा हाथ, लगवा ले # ##


इन दोनों पंक्तियों के अंतिम शब्द सुनने में एक जैसे ही लगते हैं। लेकिन जोड़-तोड़ कर लिखने में अर्थ बदल जाते हैं। हर # एक अक्षर है। हर % आधा अक्षर। 


जैसे कि:


हे हनुमान, राम, जानकी

रक्षा करो मेरी जान की


ऐसे कई और उदाहरण/पहेलियाँ हैं। जिन्हें आप यहाँ देख सकते हैं। 


Https://tinyurl.com/RahulPaheliya 


आज की पहेली का हल आप मुझे भेज सकते हैं। या यहाँ लिख सकते हैं। 


सही उत्तर न आने पर मैं अगले रविवार - 14 फ़रवरी को - उत्तर बता दूँगा। 


राहुल उपाध्याय । 7 फ़रवरी 2021 । सिएटल


हल: बेटी का / बे टीका















ज़िन्दगी है एक सुडोकू

ज़िन्दगी है एक सुडोकू

आसान है तो

नीरस है

बोरिंग है

मुश्किल है तो

हाथ खड़े कर देता हूँ 

आगे कुछ सूझता ही नहीं 

क्या करूँ 

क्या न करूँ 


हल है

लेकिन

हल जानने में

कोई रूचि भी नहीं 


देर-सबेर 

सबका 

वही अंत होता है

81 खाने हैं

नौ आड़ी

नौ खड़ी 

क़तारें हैं

सब में वही एक से नौ तक के अंक हैं


हल में वो मज़ा कहाँ 

जो करने में हैं


बस 

इतना आसान न हो कि

मन ऊब जाए

और इतना कठिन भी नहीं कि

करने का मन ही न करे


हाँ 

कोई साथी

मिल जाए

तो करने में

मज़ा और बढ़ जाता है


राहुल उपाध्याय । 6 फ़रवरी 2021 । सिएटल