Sunday, February 14, 2021

आशा ही आशा के गीत वो गाता है

https://youtu.be/F8Iwji_GG_0


ग़म लाख आए

दिन-रात आए

मन को मेरे पर 

डरा न पाए


अब तो मेरा मन

रोज़ ही गाता है 

आशा ही आशा के 

गीत वो गाता है


न जाने कैसा एहसास है

साँस ही है जो बस ख़ास है

क्या नशा इस बात का

मुझपे सनम छाने लगा

कोई न जाने क्या हो जाता है

आशा ही आशा के गीत वो गाता है


क्या ख़ूब है ये मेरा यक़ीन 

मुझको है बस मुझपे यक़ीन 

परेशानियों से 

दिल दूर-दूर जाने लगा

तनहाई में भी अब ख़ुश हो जाता है

आशा ही आशा के गीत वो गाता है


(समीर से क्षमायाचना सहित)

राहुल उपाध्याय । 14 फ़रवरी 2021 । सिएटल 







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