मेरे दिल से ओ मैनेजर
तूने अच्छी दिल्लगी की है
के बन के बॉस
अपने वर्कर से
बेवफ़ाई की है
मेरे मैनेजर तू मेरी
क्वालिफ़िकेशन्स को तरसे
मुझे कम देने वाले
तू भी फ्रेक्शन्स को तरसे
तू फूल बने पतझड़ का,
तुझपे बहार न आए कभी
मेरी ही तरह तू तड़पे
तुझको क़रार न आए कभी
सड़े तू इस तरह कि
रिकॉग्निशन्स को तरसे
तेरे ऑप्शन्स एेसे डूबे
उनका भी कोई दाम न हो
तेरे ग्रुप के पास बेदर्दी
कोई बिलेबल काम न हो
तू फन्ड्स तो क्या
किसी की डोनेशन्स को तरसे
तेरे घर से भी ज़्यादा
वीरां कोई वीराना न हो
तू भटके उम्र भर तेरा
दुनिया में कोई ठिकाना न हो
तू ग्रीन कार्ड तो क्या
विसा एच-वन को तरसे
(आनंद बक्षी से क्षमायाचना सहित)
राहुल उपाध्याय । 2001 । सेन फ्रांसिस्को
0 comments:
Post a Comment