कहीं एक मासूम नाज़ुक सी लड़की
बहुत खूबसूरत मगर बावली सी
चलो चेक करूँ स्नेपचेट डाली ही होगी
कह-कह के फोन उठाती तो होगी
कोई कॉल शायद मिस हो गया हो
स्मार्ट फोन बार-बार देखती तो होगी
और फिर फोन की घंटी बजते ही वो
उसी फोन से चिपक जाती तो होगी
चलो पिंग करूँ जी में आता तो होगा
मगर उंगलियां कँप-कँपाती तो होंगी
फ़ोन हाथ से छूट जाता तो होगा
उमंगें फ़ोन फिर उठाती तो होंगी
मेरे नाम खास ईमोजी सोचकर
वो दांतों में उँगली दबाती तो होगी
चलो देखूँ क्या कुछ नया हो रहा है
कह-कह के व्हाट्सेप पे आती तो होगी
कोई पोस्ट शायद मिस हो गई हो
बार-बार टाईम-लाईन टटोलती तो होगी
मेरी पोस्ट में ख़ुद को कविता में पाकर
बदन धीमे धीमे सुलगता तो होगा
लिखूँ कमेंट जी में आता तो होगा
कीबोर्ड पे उंगली थरथराती तो होगी
कई बार मन की उमंगो को लिख कर
वो एक-एक कर सब मिटाती तो होगी
(कमाल अमरोही से क्षमायाचना सहित)
राहुल उपाध्याय । 3 फ़रवरी 2021 । सिएटल
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