Thursday, February 4, 2021

भटका जहान है

https://youtu.be/MmdeZE_bsVM 


दुनिया में देखो फैला कैसा अज्ञान है

भटके हैं सब, भटका जहान है


चाहे बुझा दे कोई दीपक सारे

प्रीत बिछाती जाए राहों में तारे

फिर भी प्रेम से डरता इंसान है


डूबे ही रहते हैं नशे में सारे

इस-उस की जय करते  साँझ-सकारे

शक्ति से ख़ुद की ख़ुद ही अनजान है


आँखें झुका के वो करता है बातें

हाथ फैला के बस भीख ही माँगे

घंटी बजा कर घंटों करता गुणगान है


(आनन्द बक्षी से क्षमायाचना सहित)

राहुल उपाध्याय । 4 फ़रवरी 2021 । सिएटल 


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