Wednesday, February 3, 2021

हाथ नहीं आग से जलते मेरे

https://youtu.be/DB9q3UpV65Q


आजकल हाथ नहीं आग से जलते मेरे

बोलो देखा है कभी तुमने मुझे डरते हुए


जाने क्या होता है हर हाल में ख़ुशी होती है

दिन में ख़ुशी होती है और रात में ख़ुशी होती है

थाम लेता हूँ हर तूफ़ान को हँसते हुए 


जब भी जुल्म-ओ-सितम कोई ढाता है

हौसला हो तो वो भी गुज़र जाता है

हमने देखा है जंजीरों को गलते हुए


कल की बात नहीं, हर बार यही होता है

वो ही पाता है इन्सान जो बोता है

हमने देखा है लुटेरों को लुटते हुए


(गुलज़ार से क्षमायाचना सहित)

राहुल उपाध्याय । 1 फ़रवरी 2021 । सिएटल 

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