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Sunday, January 3, 2021

पल पल सबके साथ ख़ुशी रहती है

पूरा गीत यहाँ देखें/सुनें:

https://youtu.be/Gz3Ty2mkpGw 


पल-पल सब के साथ ख़ुशी रहती है

जीवन सुख की खान ये कहती है 


हर शाम धरा पर नभ नूर बरसाए 

हर सुबह सूरज की किरणें हर्षाए 

हम सांस लेते हैं, खुशी साथ चलती है

हम नींद में होते हैं, ये साथ पलती है 

सोए दिल की धड़कन भी ये गीत गाती है


जब जिसको चाहा है, कभी उसको पाया है

कभी जिसको चाहा है, नहीं उसको पाया है

जब ऐसा होता है, हम हँसते रहते हैं 

जब वैसा होता है, हम रोने लगते हैं 

जबकि बात सीधी ये खुशी साथ रहती है 


कल दुख के बादल भी 'गर मंडराए तो 

कल सुख के साधन भी 'गर छीन जाए तो 

सोते-जागते तुम बस याद ये रखना 

खुशी कल भी साथ थी, इसे कल भी है रहना 

है खुशी वो ईंधन जिससे दुनिया चलती है 


(राजिन्दर क्रृष्ण से क्षमायाचना सहित)

राहुल उपाध्याय । 3 जनवरी 2021 । सिएटल 


Friday, November 6, 2020

चुनाव में हारनेवालों को


चुनाव में हारनेवालों को

चैन कहाँ, हाय, आराम कहाँ


हार की अंधियारी मंज़िल में

चारों ओर सियाही

आधी राह में ही रुक जाए

इस मंज़िल का राही

वोटों पर मरनेवालों को

चैन कहाँ, हाय, आराम कहाँ


बहलाए जब दिल ना बहले

तो ऐसे बहलाएँ

झूठ ही तो है जीत की दौलत

ये कहकर समझाएँ 

अपना मन छलनेवालों को

चैन कहाँ, हाय, आराम कहाँ


(राजिन्दर कृष्ण से क्षमायाचना सहित)

राहुल उपाध्याय । 5 नवम्बर 2020 । सिएटल

 https://youtu.be/uk1x7gW3m10 


Thursday, August 21, 2014

Modi's 2nd Symphony

इतनी न मुझसे तू आस लगा
कि मैं एक पी-एम बेचारा
कैसे किसी का सहारा बनूँ
काम करे सी-एम सारा

मैं गुजरात राज्य का था मुख्यमंत्री
मेरे राज में राज्य ने की बहुत तरक्की
टाटा से पूछो, अम्बानी से पूछो
हर उद्योगपति का भरा मैंने भंडारा

है यू-पी प्रांत में कितने अपराधी
दिन-रात करे जो मनमानी
सहारनपुर जला, मुरादाबाद फ़ूँका
और मैंने बस भाषण मारा

माना कि आज मैं हूँ प्रधानमंत्री
हर बंदे की मुझसे है आस बँधी
पर अखिलेश कहीं, तो कहीं ममता है जमी
इन सबको हटाओ तो हटे कुकर्म सारा

इस बार है विधानसभा की तैयारी
हर मंच से सुनोगे मेरी लफ़्फ़ाजी
मुझको ही सुनो, मुझको ही चुनो
फिर देखो बनूँ मैं कैसे सर्वहारा

(राजिन्दर कृष्ण से क्षमायाचना सहित)
21 अगस्त 2014
सिएटल । 513-341-6798

Wednesday, August 19, 2009

भारत छोड़ो आंदोलन

गुर्रु पासपोर्ट
गुर्रु विसा
सुरूर भागने का सब पे चढ़ा
है भारत वो आज कहाँ
जो अंग्रेजों से था कभी लड़ा

जहाँ डाल-डाल पे उड़ने को
आतुर बैठी है चिड़िया
वो भारत देश है भैया
जहाँ सत्य, अहिंसा और धरम की
पग-पग उड़ती धज्जियाँ
वो भारत देश है भैया

जहाँ जो भी परिंदा
घर से निकला
लौट के फिर न आया
शौच के ढंग ने
सोच यूँ बदली
परदेस उसको भाया
भुल गया वो अपनी माटी,
अपने बापू-मैया
वो भारत देश है भैया

ये धरती वो
जहाँ ॠषि-मुनि
जपते प्रभु नाम की माला
हरि ॐ, हरि ॐ, हरि ॐ, हरि ॐ
जहाँ अन्याय होता देख भी
उनके मुँह पे रहता ताला
जहाँ ईश्वर सबसे पहले खाए,
खाए खीर-सेवईयाँ
वो भारत देश है भैया

जहाँ आसमान से बाते करते,
नेता और सितारें
किसी नगर में, किसी समय पे,
किसी के काम न आते
उल्टा ठूँस-ठूँस वे माल दबाए,
दबाए करोड़ों रुपया
वो भारत देश है भैया

सिएटल 425-898-9325
19 अगस्त 2009
(
राजेन्द्र कृष्ण से क्षमायाचना सहित)