Tuesday, October 26, 2010

करवा चौथ

भोली बहू से कहती हैं सास


तुम से बंधी है बेटे की सांस

व्रत करो सुबह से शाम तक

पानी का भी न लो नाम तक



जो नहीं हैं इससे सहमत

कहती हैं और इसे सह मत



करवा चौथ का जो गुणगान करें

कुछ इसकी महिमा तो बखान करें

कुछ हमारे सवालात हैं

उनका तो समाधान करें



डाँक्टर कहें

डाँयटिशियन कहें

तरह तरह के

सलाहकार कहें

स्वस्थ जीवन के लिए

तंदरुस्त तन के लिए

पानी पियो, पानी पियो

रोज दस ग्लास पानी पियो



ये कैसा अत्याचार है?

पानी पीने से इंकार है!

किया जो अगर जल ग्रहण

लग जाएगा पति को ग्रहण?

पानी अगर जो पी लिया

पति को होगा पीलिया?

गलती से अगर पानी पिया

खतरे से घिर जाएंगा पिया?

गले के नीचे उतर गया जो जल

पति का कारोबार जाएंगा जल?



ये वक्त नया

ज़माना नया

वो ज़माना

गुज़र गया

जब हम-तुम अनजान थे

और चाँद-सूरज भगवान थे



ये व्यर्थ के चौंचले

हैं रुढ़ियों के घोंसले

एक दिन ढह जाएंगे

वक्त के साथ बह जाएंगे

सिंदूर-मंगलसूत्र के साथ

ये भी कहीं खो जाएंगे



आधी समस्या तब हल हुई

जब पर्दा प्रथा खत्म हुई

अब प्रथाओ से पर्दा उठाएंगे

मिलकर हम आवाज उठाएंगे



करवा चौथ का जो गुणगान करें

कुछ इसकी महिमा तो बखान करें

कुछ हमारे सवालात हैं

उनका तो समाधान करें

Sunday, October 17, 2010

पहेली 36

कोई भी दिन गुज़रा जिसमें X XX था

ज़िसका सितारा चमका वो अपना XXX था

कैसे हल करें? उदाहरण स्वरूप पुरानी पहेलियाँ और उनके हल देखें।

पहेली 35 का उत्तर

हवा

पहेली 34 का उत्तर

नमन

पहेली 33 का उत्तर

दरजी

Thursday, October 14, 2010

विडम्बनाओं का खेल

करत करत अभ्यास के
शांतिप्रिय भए शैतान
गाँधी जी के देश में
बंदूक-तमंचे वाले पा रहे इनाम

देश-विदेश के नर-नार ने
देखें राष्ट्रमंडल खेल
लेकिन दिल्लीवासी घर में बंद
जैसे काट रहे हो जेल

खेल के नाम पे लूट है
लूट सके तो लूट
कहने को है गाँव मगर
ठाठ-बाट भरपूर

कलमाडी पुलिया खेल की
क्यूँ दी तोड़ भड़भड़ाय
सेना ने तो जोड़ दी
पर ओलम्पिक दियो गँवाय

लाखों-करोड़ों फूँक के
किए समारोह भव्य
और रामलला की रामलीला को
मिले छटाँक न द्रव्य

दिल्ली
099588 - 90072
14 अक्टूबर 2010

Tuesday, October 5, 2010

कान बंद, दुकान बंद

एक दिन था फ़ैसला
तो दुकाने थीं बंद

एक दिन था जन्मदिन
तो दुकानें थीं बंद

एक दिन था समारोह
तो दुकाने थीं बंद

यह सब तभी सम्भव है
जब
या तो जनता हो गूंगी
या शासक के हो कान बंद

दिल्ली | 099588 - 90072
6 अक्टूबर 2010

Monday, October 4, 2010

इंसान ऊँट बनने लगा है

पहले शहर के बाहर
एक भव्य
टंकी हुआ करती थी


फिर
एक दौर ऐसा आया

कि हर घर की छत पर
सिंटेक्स की काली टंकी
नज़र आने लगी

कालांतर में
हर किचन में
एक आर-ओ का
रिवाज़ चल पड़ा

अब शनै: शनै:
इंसान ऊँट बनने लगा है
फ़र्क़ सिर्फ़ इतना है
कि पानी की थैली
पेट में न हो कर
पीठ पर है

दिल्ली |99588 - 90072
4 अक्टूबर 2010
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सिंटेक्स = Sintex
किचन = kitchen
आर-ओ = RO, or reverse osmosis

Sunday, October 3, 2010

भोर भए

भोर भए XX हर कोई जाए
जाए रे पशु जैसे हर कोई जाए

कोई गली, कोई डगर, कोई कोना
नाहीं छूटे, सब हैं जुटे, मारे बास
भोर भए ...


कॉमन मेन, कॉमन-फ़िल्थ, कॉमन-वेल्थ में फ़ंसा
कैसे उबरे, कैसे निपटे, सैया बेईमान
भोर भए ...


रातों को नींद, दिन में हो चैन, ऐसा है कहाँ?
गाँव, पनघट, हो सब के सब, सब्ज़ जहाँ
भोर भए..

दिल्ली | 99588-90072
3 अक्टूबर 2010
(मजरूह से क्षमायाचना सहित)
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XX = हूँ-हूँ या something-something जो मन में आए जोड़ लें. उचित शब्द यहाँ लिखना अनुचित होगा, इसलिए नहीं लिखा.
सब्ज़ = हरा
कॉमन मेन, कॉमन-फ़िल्थ, कॉमन-वेल्थ = common man, common-filth, common-wealth