करत करत अभ्यास के
शांतिप्रिय भए शैतान
गाँधी जी के देश में
बंदूक-तमंचे वाले पा रहे इनाम
देश-विदेश के नर-नार ने
देखें राष्ट्रमंडल खेल
लेकिन दिल्लीवासी घर में बंद
जैसे काट रहे हो जेल
खेल के नाम पे लूट है
लूट सके तो लूट
कहने को है गाँव मगर
ठाठ-बाट भरपूर
कलमाडी पुलिया खेल की
क्यूँ दी तोड़ भड़भड़ाय
सेना ने तो जोड़ दी
पर ओलम्पिक दियो गँवाय
लाखों-करोड़ों फूँक के
किए समारोह भव्य
और रामलला की रामलीला को
मिले छटाँक न द्रव्य
दिल्ली
099588 - 90072
14 अक्टूबर 2010
Thursday, October 14, 2010
विडम्बनाओं का खेल
Posted by Rahul Upadhyaya at 12:42 AM
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Labels: India
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1 comments:
kya kahen aapne to kuchh bachaya hee nahee kahne ko
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