Friday, April 28, 2017

बीज बो लो

"कुछ पाना है

तो ख़ुद को खो दो

सब पा लोगे"

👆

कब तक ऐसे 

भ्रम पालोगे?


मेरी मानो

तो ख़ुद को खोदो

जो भी है

  • मल-मवाद
  • कूड़ा-करकट

सब हट जाएगा

गड़ा ख़ज़ाना मिल जाएगा


पाना 🔧लेकर

नट-बोल्ट खोलो

हर कसावट को

ढीला छोड़ो

उन्मुक्त हो कर

जग में डोलो

प्रेम-प्यार के

बोल बोलो

सत्कर्म के

बीज बो लो


28 अप्रैल 2017

सिएटल | 425-445-0827


Friday, April 7, 2017

तीन प्रश्न

पानी देते वक़्त सोचता हूँ

माँ ने इतने पौधे क्यूँ लगाए?


फूल निहारते वक़्त सोचता हूँ

माँ ने इतने ही पौधे क्यूँ लगाए?


रोटी, कपड़ा और मकान

तीन का ही तो हुआ था फ़रमान 

फिर पौधों ने कहाँ से पा लिया स्थान?


8 अप्रैल 2017

दिल्ली 

Thursday, April 6, 2017

जब तक हूँ तब तक हूँ

जब तक हूँ

तब तक हूँ

इसके बाद

नभ तक हूँ


सम्बन्धों की सीमाएँ हैं

अनुबंधों की रेखाएँ हैं

इसके बाद

सब तक हूँ


टुकड़ों-टुकड़ों बँटता हूँ

कभी यहाँ, कभी वहाँ रहता हूँ

इसके बाद

पग-पग हूँ


नहीं हूँ तो सचमुच हूँ

हूँ तो झूठमुठ हूँ

समय से परे

पल-पल हूँ


फ़रीदाबाद और दिल्ली के बीच

7 अप्रैल 2017