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Thursday, December 24, 2020

चलो याद तो आईं तुम्हें

चलो याद तो आईं तुम्हें 

गीता जयंती 

तुलसी 

और अपनी संस्कृति 


वरना 

गुज़ार देते दिन 

यूँही 

दाल-रोटी के चक्कर में


कई बार हम 

दूसरों को देखकर

सीखते हैं 

और

कई बार 

नक़ल कर बैठते हैं

पर 

स्वीकारने से 

हिचकते हैं


एक बात तो बताओ

अगले साल 

कौन सी जयंती मनाओगे?


राहुल उपाध्याय । 24 दिसम्बर 2020 । सिएटल 




Friday, October 16, 2020

आगमन

कद्दू 

जब खाने की जगह

खेलने के लिए 

ख़रीदा जाने लगे 

समझो

हेलोवीन आ गया है 


हरा-भरा पेड़ 

काट कर

घरों में 

सजाया जाने लगे

समझो

क्रिसमस आ गया है


मोमबत्ती 

रोशनी नहीं 

ख़ुशबू के लिए 

जलाई जाने लगे

समझो रईसी आ गई है 


राहुल उपाध्याय । 16 अक्टूबर 2020 । सिएटल 

Sunday, August 30, 2020

मैं गया नहीं गया हूँ

मैं गया नहीं गया हूँ

और लॉकडाऊन में जा भी नहीं सकता

और न ही जाने का कोई विचार है

विशेष तौर पर पितरों के तर्पण के लिए


मुझे कोई भी ऐसी प्रक्रिया 

पसन्द नहीं 

जिससे एक वर्ग विशेष ही

लाभान्वित हो


राहुल उपाध्याय । 30 अगस्त 2020 । सिएटल 


Sunday, July 5, 2020

गुरू बना है मीडियम

गुरू बना है मीडियम

या मीडियम हुआ गुरू है

कहना बहुत है मुश्किल 

ये बढ़त है या हुआ है घाटा


'गर ये बढ़त है

तो सामने है मोटापा

और यदि है ये घाटा

तो किस काम का है घाटा


हमने बनाई हैं जितनी

सूरत अपने दिल की

हर सूरत में आए हमको

नज़र घाटा ही है ज़्यादा 


पड़ें जब ग़मों के छालें

हुए फ़ौत मिटने वाले

न आए गुरू कहीं भी

करने को ग़म को आधा


कोई गुरू का खेल देखे

के सुन ले उनकी बातें 

वो क़दम क़दम पे जीते

मैं क़दम-क़दम पे हारा


(शकील बदायूनी से क्षमायाचना सहित)

राहुल उपाध्याय । 5 जुलाई 2020 । सिएटल

फ़ौत = मृत, नष्ट 



Saturday, June 20, 2020

सूतक

जेब में आई-फ़ोन है
व्हाट्सैप चलाते हैं 
ऑनलाइन कविताएँ सुनाते हैं
लेकिन ग्रहण है 
सो सूतक में विश्वास है
और पूर्व-निर्धारित गोष्ठी 
रद्द हो जाती है

बसें बन्द नहीं होतीं
ट्रैन चलती हैं
दुकानें खुलती हैं
पर आरामपसन्द आदमी
अकारण ही
कारण ढूँढ लेता है
कुछ न करने की

आज 
बुद्ध पूर्णिमा है
कल
किसी का जन्मदिन है
कभी कोई तीज है
कभी चतुर्थी 

चाहे कितना ही 
विकास हो जाए
हम नए-नए
पुख़्ता 
'वैज्ञानिक'
एवं 
तर्कसंगत 
कारण
खोज ही लेते हैं
पीछे
और पीछे
होने के लिए

राहुल उपाध्याय । 20 जून 2020 । सिएटल

Wednesday, August 29, 2018

केशव के शव का कोई औचित्य नहीं है

केशव के शव का कोई औचित्य नहीं है
फिर भी कथानक पूरा हो सके
इस चक्कर में 
एक बहेलिए द्वारा 
पैर के अंगूठे को बिंधवा दिया जाता है
और उन्हें मृत घोषित कर दिया जाता है

जो जन्मा ही नहीं 
उसके जन्मोत्सव का क्या औचित्य?
और उस सर्वव्यापी को, सर्वविद्यमान को
एक छोटे से ज़मीन के टुकड़े में बाँध कर
जन्मभूमि घोषित कर 
हज़ारों को मौत के घाट उतार देना क्या प्रियकर है?

हम
जो जीवित है
उनका जन्मदिन मनाने में क्यों कोताही बरतते हैं?
क्यूँ उन्हें पूजते रहते हैं
जिनका होना होना कोई मायने नहीं रखता है?

जिस काल में 
समय का प्रारूप ही नहीं था
दिन-महीनों के नाम थे
जन्मदिन मनाने की प्रथा थी
मैं कैसे मान लूँ कि
अमुक महीने में, अमुक दिन, अमुक समय पर
किसी का जन्म हुआ था?

तुम्हें हर्षोल्लास का एक बहाना चाहिए?
मैं तुम्हें सौ देता हूँ
उन सबका जन्मदिन मनाओ 
जिन्होंने तुम्हारे जीवन को सार्थक बनाया
निराशा के वक़्त आशा दिलाई
दिशा दिखाई
गिरने से बचाया
प्रोत्साहित किया
चाहे वो
  • रिश्तेदार हो
  • अभिभावक हो
  • संगी हो, साथी हो
  • पहला प्यार हो
  • कलाकार हो
  • गीतकार हो
  • संगीतकार हो
  • निर्देशक हो
  • निर्माता हो
  • कवि हो
  • लेखक हो
  • पटकथाकार हो
  • संवाद लेखक हो
  • संवाददाता हो
  • समाचारवाचक हो
  • गायक हो
  • वादक हो
  • अध्यापक हो

29 अगस्त 2018
सिएटल

Saturday, July 28, 2018

वार ने मुझको मारा

रविवार को पड़ी ऐसी शनि की छाया
कि सोमवार को रवि से तप गया माथा

मंगलवार को सोमरस पीकर
बुधवार तक आनन्द-मंगल छाया

गुरूवार को सुध-बुध आई कि
शुक्रवार को है गुरू पूर्णिमा 

नाम-धाम का गोरख धंधा
मैं कभी समझ पाया
सातों दिन किसी किसी के
वार ने मुझको मारा

(गुरू पूर्णिमा, 2018)

Sunday, May 13, 2018

मात्र दिवस

आज मातृ-दिवस पर
माँ पर कई कविताएँ आईं
मैंने एक भी नहीं पढ़ी 

पढ़ता तो दु: होता
लज्जित होता
ख़ुद को कोसता
कि
मैंने अपनी माँ को
इतना ऊँचा दर्जा नहीं दिया
इतना महिमामण्डित नहीं किया
जितना इन कविताओं में होता

माँ को बस माँ ही समझा
देवी माना
पूजा की
जब से देखा 
माँ ही समझा
माँ ही जाना

पत्नी-बेटी-बहन भी हैं वो
लेकिन उन आयामों को मैं क्या समझूँ
जब से देखा 
माँ ही समझा
माँ ही जाना

फूल लाया 
उपहार दिए
हर रोज़ की तरह उनसे दु:-सुख की बात की
हमेशा की तरह उन्होंने आशीर्वाद दिए

मातृ-दिवस
हम माँ-बेटे के कैलेण्डर में 
रहा हर दिन की तरह
मात्र दिवस

13 मई 2018
सिएटल