जेब में आई-फ़ोन है
व्हाट्सैप चलाते हैं
ऑनलाइन कविताएँ सुनाते हैं
लेकिन ग्रहण है
सो सूतक में विश्वास है
और पूर्व-निर्धारित गोष्ठी
रद्द हो जाती है
बसें बन्द नहीं होतीं
ट्रैन चलती हैं
दुकानें खुलती हैं
पर आरामपसन्द आदमी
अकारण ही
कारण ढूँढ लेता है
कुछ न करने की
आज
बुद्ध पूर्णिमा है
कल
किसी का जन्मदिन है
कभी कोई तीज है
कभी चतुर्थी
चाहे कितना ही
विकास हो जाए
हम नए-नए
पुख़्ता
'वैज्ञानिक'
एवं
तर्कसंगत
कारण
खोज ही लेते हैं
पीछे
और पीछे
होने के लिए
राहुल उपाध्याय । 20 जून 2020 । सिएटल
1 comments:
सटीक।
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