रिलेशनशिप्स एक ख़तरनाक स्ट्रीट है
जो कल तक प्रिय था आज बना कलप्रिट है
परफ़्यूम्स की गिफ़्ट
ईयर-रिंग्स की गिफ़्ट
केबल के रिमोट में
हो गई हैं शिफ़्ट
कड़वे घूंट ही अब बर्थडे की ट्रीट हैं
कभी नखरे उठाते थे
कभी पाँव दबाते थे
कभी-कभी रुठ जाने पर
दर्जन फ्लॉवर्स लाते थे
आज बात-बात पर किए जाते मिसट्रीट हैं
रफ़्ता-रफ़्ता रिसते-रिसते
रिश्ता बन जाता है बोझ
तू-तू मैं-मैं होती है रोज
झगड़े आदि होते हैं रोज
दोनों में से कोई भी करता नहीं रिट्रीट है
पहले करते थे 'विश'
आज घोलते है विष
साथ-साथ रहते हैं पर
जैसे एक्वेरियम में फ़िश
जिसकी वॉल्स में ग्लास नहीं कंक्रीट है
लिये थे फेरे
खाई थी कसमें
किये थे वादे
निभाएंगे रस्में
सिंदूर-मंगलसूत्र के साथ लापता मेराईटल स्पिरिट है
राहुल उपाध्याय । 11 जुलाई 2007 । सिएटल
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