कितनी अजीब बात है
तुमने भी उसी केरोसेल से
अपना सूटकेस उठाया होगा
जहाँ से मैंने कभी उठाया था
तुम भी उसी इमिग्रेशन की
क़तार में खड़ी होगी
जिसमें कभी मैं खड़ा था
और यह भी तो हो सकता है
कि तुम ठीक उसी सीट पर
बैठी हो
जिस पर मैं कभी बैठा था
आज भी मैं
एयरपोर्ट के
कई चक्कर लगाता हूँ
सोचता हूँ
साथ नहीं हैं
तो क्या
एक छत के नीचे होने का
सपना तो साकार हो जाए
राहुल उपाध्याय । 21 जून 2020 । सिएटल, अमेरिका
0 comments:
Post a Comment