Monday, June 22, 2020

यह बात गले नहीं उतरती

देख रहा हूँ
कि तुमने वह सब उतार दिए हैं
जो तुमने मुझसे कभी माँगे थे

हाथ के कंगन
कान की बाली
गले की माला

लेकिन
यह बात गले नहीं उतरती
कि तुम मुझसे उबर चुकी हो

अभी
कल ही की तो बात है
तुम घबरा रही थी 
कि कोई हमें 
देख न ले
सुन न ले
समझ न ले

यह डर
वह नहीं तो क्या है?

दोस्त भी भला कभी डरते हैं किसी से?

राहुल उपाध्याय । 22 जून 2020 । सिएटल

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