Friday, August 31, 2012

हाथों के हाथ



जब कभी भी तुम हँसती हो
खुशी भी होती है
और दु:ख भी

खुशी इस बात की कि तुम खुश हो
हँसमुख हो
उन्मुक्त हो

और दु:ख इस बात का कि
तुम्हारा फूल सा चेहरा
मेरे हाथों में नहीं

जब कभी भी तुम आती हो
खुशी भी होती है
और दु:ख भी

खुशी इस बात की कि
तुम मेरे पास हो
तुम्हारी खुशबू
उड़ा रही मेरे होशोहवास है

और दु:ख?
दु:ख इस बात का कि
हाथों में हाथ नहीं

नैन से नैन मिलें
दिल से दिल मिलें
ये क्या कोई कम सौगात है?
और हम हैं कि
हाथों के हाथ
खा रहें मात हैं!

सिएटल । 513-341-6798
31 अगस्त 2012

Friday, August 24, 2012

Old Flame

न नई होती है
न पुरानी होती है
न बूढ़ी होती है
न जवान होती है
लौ तो लौ है
हर सिम्त दीपक की जान होती है

लौ न होती
तो मैं भी न होता
महज हड्डियों का
आडम्बर होता
लौ तो लौ है
आजीवन जीवन की पहचान होती है

देती है रोशनी
तो करती है राख भी
गाते हैं गुण जिसके
ग़ालिब और फ़िराक़ भी
लौ से है दुनिया
और लौ से ही दुनिया शमशान होती है

लौ से है जीवन
लौ से मरण है
लौ में ही तप के
बनते आभूषण हैं
मजनू का आदि
और मजनू का अंत
लैला की त्रैलोकिक मुस्कान होती है

सिएटल । 513-341-6798
24 अगस्त 2012

Tuesday, August 21, 2012

सयानी दुनिया






कुछ दिन हुए
एक चिड़िया यहाँ
आने लगी थी
खुशी के गीत
वो गाने लगी थी

सुनता था मैं
गुनगुनाता था मैं
खुशी से
फूला न समाता था मैं

देखो तो उसके सुकोमल पंख
बच्चों को गर्व से दिखलाता था मैं
वो उसका फुदकना
वो उसका चहकना
वो बार-बार उड़-उड़ के
उसका वापस पलटना

कितना खुशकिस्मत है
ये घर-आंगन हमारा
कि
चिड़िया यहाँ घर बसाने लगी है

और फिर एक दिन
नई चीज
पुरानी हो गई
रूमानी थी दुनिया
सयानी हो गई

वो घोंसले की गंदगी
वो चूजों की चक-चक
हमारे लिये परेशानी हो गईं

छत सड़ेगी
मरम्मत बढ़ेगी
एक न एक दिन
विपदा गिरेगी

जैसे भी हो
इन्हें दफ़ा करो
कहो:
कहीं और
जा के रहो

अब येलोस्टोन जा के
पंछी देखते हैं हम
दूरबीन-टेलिस्कोप की जहमत
उठाते हैं हम
उन्हें एस-एल-आर कैमरे में कैद कर के ले आते हैं हम
और
फ़ेसबूक की वॉल पे इतराते हैं हम

कुछ दिन हुए
एक चिड़िया
यहाँ आने लगी थी

सिएटल । 513-341-6798
21 अगस्त 2012

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येलोस्टोन = Yellowstone National Park
एस-एल-आर कैमरा = SLR Camera; Single-lens Reflex  Camera
वॉल = wall





Friday, August 10, 2012

भेड़ चाल


न समझा है
न जाना है
न ही मन से माना है
और बुन लिया कुछ ऐसा ताना-बाना है
कि सच और झूठ में फ़र्क करना मुश्किल है
देखते ही भीड़
हो जाते शामिल हैं
कि कुछ न कुछ तो वजह होगी
जो गा रही महफ़िल है
हरे राम
हरे राम
राम राम हरे हरे
हरे कृष्ण
हरे कृष्ण
कृष्ण कृष्ण हरे हरे

सिएटल । 513-341-6798
10 अगस्त 2012

Sunday, August 5, 2012

बिजली का होना, न होना

पिछले दिनों, जब भारत में बिजली नहीं थी
किसी के भी जीवन पर गिरी बिजली नहीं थी

स्कूल खुले थे
बच्चे हँसे थे
खाना पका था
बर्तन मंजे थे
कपड़े धुले थे
कपड़े सूखे थे
दुकानें खुलीं थीं
बसें चलीं थीं

फ़ेसबुक की अपडेट्स में भी न आई कमी थी
किसी की भी अपडेट में कोई शिकायत नहीं थी

निर्भरता ही नैनों में है नीर भरती
और दुनिया है कि समृद्धि का ढोंग रचती

सही मायनों में देखिए तो है बस वो ही आज़ाद
जो किसी बात पर भी किसी का है नहीं मोहताज

सिएटल । 513-341-6798
5 अगस्त 2012