पिछले दिनों, जब भारत में बिजली नहीं थी
किसी के भी जीवन पर गिरी बिजली नहीं थी
स्कूल खुले थे
बच्चे हँसे थे
खाना पका था
बर्तन मंजे थे
कपड़े धुले थे
कपड़े सूखे थे
दुकानें खुलीं थीं
बसें चलीं थीं
फ़ेसबुक की अपडेट्स में भी न आई कमी थी
किसी की भी अपडेट में कोई शिकायत नहीं थी
निर्भरता ही नैनों में है नीर भरती
और दुनिया है कि समृद्धि का ढोंग रचती
सही मायनों में देखिए तो है बस वो ही आज़ाद
जो किसी बात पर भी किसी का है नहीं मोहताज
सिएटल । 513-341-6798
5 अगस्त 2012
किसी के भी जीवन पर गिरी बिजली नहीं थी
स्कूल खुले थे
बच्चे हँसे थे
खाना पका था
बर्तन मंजे थे
कपड़े धुले थे
कपड़े सूखे थे
दुकानें खुलीं थीं
बसें चलीं थीं
फ़ेसबुक की अपडेट्स में भी न आई कमी थी
किसी की भी अपडेट में कोई शिकायत नहीं थी
निर्भरता ही नैनों में है नीर भरती
और दुनिया है कि समृद्धि का ढोंग रचती
सही मायनों में देखिए तो है बस वो ही आज़ाद
जो किसी बात पर भी किसी का है नहीं मोहताज
सिएटल । 513-341-6798
5 अगस्त 2012
8 comments:
bakhwas!! Grow up dude
badiya hai Sir!!
Main bhi nahaya tha,
Dadhi banaya tha
Sundaass gaya tha
haath dhoya tha
Kaccha dhula tha
Chaddi sukhe the
Maggi khaya tha
aur phir aapka poem pada tha!!
Bijli nahi thi
woh maike jo gayi thi !!
Wah!! Wah!! Wah!!
बहुत सराहनीय प्रस्तुति.
बहुत सुंदर बात कही है इन पंक्तियों में.
http://madan-saxena.blogspot.in/
http://mmsaxena.blogspot.in/
http://madanmohansaxena.blogspot.in/
Too good.
Too good
ek alag soch...
Nirbharta hi nainon mein hai neer bharti - ek gehri baat kahi hai aapne!
Aur vaise bhi, bijli koi iPad thodi hai ki uske kho jaane ka darr ho :)
Rahul:
A positive twist on the blackout. Do not let Shinde or Moily read it otherwise they will get even more complacent!
Kamal
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