Friday, April 22, 2011

ये कैसा प्रजातंत्र है ये कैसा जनतंत्र

ये कैसा प्रजातंत्र है, ये कैसा जनतंत्र
जनता इससे खुश नहीं, कहे षड़यंत्र
कहे षड़यंत्र, हुई इतनी ये तंग
उठाने लगे संग जो कर करें सतसंग

करें सतसंग, करने लगे अनशन
नाम जिनका अन्ना, नहीं छू रहें थे अन्न
नहीं छू रहें थे अन्न, हुई जनता प्रसन्न
चलो गाँधी फिर से आए, डरें मनमोहन

डरें मनमोहन, हटी हर अड़चन
बच्चा-बच्चा खुश हुआ, हुए अभिभावक मगन
हुए अभिभावक मगन, पूरे होगे अब स्वपन
पढ़-लिख के राजा बेटा कमाएगा ये धन

कमाएगा ये धन, नहीं करेगा गबन
देश में ही रहेगा, नहीं होगा बे-वतन
नहीं होगा बे-वतन, सब होगे सुखी-सम्पन्न
भारत में ही रह के भारत माँ का नाम करेगा रोशन

सिएटल, 22 अप्रैल 2011

Friday, April 8, 2011

यह शस्त्र बड़ा बेजोड़ है

गली-गली में शोर है
नेता सारे चोर हैं
करने को हम कुछ नहीं करते
बस देते देश छोड़ है

आज मिला है एक सुअवसर हमको
आज हो रही भोर है
फिर क्यूँ यारो हम हैं सोते
चलो लगाते जोर है

धरना-अनशन क्या कर लेगा
कहते कुछ मुँहजोर हैं
उनसे हमें हैं बस इतना कहना
यह शस्त्र बड़ा बेजोड़ है

गाँधी ने हमें दी आज़ादी
अब आया हमारा दौर है
फिर क्यूँ यारो हम हैं सोते
चलो लगाते जोर है

करने से ही कुछ होता यारो
क्यूँ ना करने की होड़ है
कर्म किए जा, कर्म किए जा
यहीं गीता का निचोड़ है

जब जब जनता एक हुई है
हुआ नतीजा पुरजोर है
फिर क्यूँ यारो हम हैं सोते
चलो लगाते जोर है

सिएटल, 7 अप्रैल 2011

Sunday, April 3, 2011

धोनी ने धो के सबको जीती ये पाली है


न होली है, न दीवाली है
फिर भी मस्त सवाली है
बरसों के बाद हमने
जीत जो पा ली है

जीते हैं दम से हम
ये जीत न जाली है
धोनी ने धो के सबको
जीती ये पाली है

बरसों हम हारे लेकिन
कभी दी न गाली है
बड़े ही नाज़ों से हमने
टीम ये पाली है

न हिंदू न मुस्लिम है कोई
न कोई बंगाली है
हर बंदा है भारतवासी
जिसने ट्रॉफी उठा ली है

आओ मिलके हम गाए
ये धुन निराली है
जीतने की हो धुन जिसमें
नहीं लौटता वो खाली है

सिएटल, 4 अप्रैल 2011

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पाली = 1. inning 2. raised
धुन = 1. tune 2. intense devotion