Friday, April 22, 2011

ये कैसा प्रजातंत्र है ये कैसा जनतंत्र

ये कैसा प्रजातंत्र है, ये कैसा जनतंत्र
जनता इससे खुश नहीं, कहे षड़यंत्र
कहे षड़यंत्र, हुई इतनी ये तंग
उठाने लगे संग जो कर करें सतसंग

करें सतसंग, करने लगे अनशन
नाम जिनका अन्ना, नहीं छू रहें थे अन्न
नहीं छू रहें थे अन्न, हुई जनता प्रसन्न
चलो गाँधी फिर से आए, डरें मनमोहन

डरें मनमोहन, हटी हर अड़चन
बच्चा-बच्चा खुश हुआ, हुए अभिभावक मगन
हुए अभिभावक मगन, पूरे होगे अब स्वपन
पढ़-लिख के राजा बेटा कमाएगा ये धन

कमाएगा ये धन, नहीं करेगा गबन
देश में ही रहेगा, नहीं होगा बे-वतन
नहीं होगा बे-वतन, सब होगे सुखी-सम्पन्न
भारत में ही रह के भारत माँ का नाम करेगा रोशन

सिएटल, 22 अप्रैल 2011

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5 comments:

कबीर कुटी - कमलेश कुमार दीवान said...

achchi kalpnayen hai ,

Gopal Tiwari said...

ye prajatantra hai ya jantantra kavita satya ko reflect karti hai. mujhe aapki rachna bahut pasand aayi.

Gopal Tiwari said...

ye prajatantra hai ya jantantra kavita satya ko reflect karti hai. mujhe aapki rachna bahut pasand aayi.

baaz said...

THIS IS ONLY THE FIRST STEP, WE HAVE TO GO FAR AWAY FOR THIS

rakesh said...

bilkul sahi likha aaj ke parivesh me