जानेवाले जाते-जाते क्यूँ जूते छोड़ जाते हैं?
और जो जुते हुए हैं उनसे क्यों नाते तोड़ जाते हैं?
जो जन्मे थे कल
वही जन्मेंगे आज
कहने की बात है
कोई करे न विश्वास
करे न विश्वास
करे तर्क हज़ार
सच है अगर
तो बताए भाई साब
कहाँ गए राम
और कहाँ श्याम आज?
कैसे कोई उनसे कहे
देखो संग-तराश
भिन्न-भिन्न भित्त बनाए
लेकिन वही हाड़-माँस
वही हाड़-माँस
वही फ़ेफ़ड़ों में साँस
जो गया है वो गया नहीं
जो आया है वो आया नहीं
काल के ग्रास में
कोई भी समाया नहीं
सब यहीं थे, यहीं हैं
सत्य सिर्फ़ यही है
सिएटल, 13 मई 2011
Friday, May 13, 2011
राम नाम सत्य है
Posted by Rahul Upadhyaya at 10:13 PM
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1 comments:
सत्य सिर्फ़ यही है ! Sir jee ittifaq se aapki blog par pahuncha... aapki rachana bahut hi acchhi hain.. badhai..
www.anilavtaar.blogspot.com
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