Wednesday, August 29, 2018

केशव के शव का कोई औचित्य नहीं है

केशव के शव का कोई औचित्य नहीं है
फिर भी कथानक पूरा हो सके
इस चक्कर में 
एक बहेलिए द्वारा 
पैर के अंगूठे को बिंधवा दिया जाता है
और उन्हें मृत घोषित कर दिया जाता है

जो जन्मा ही नहीं 
उसके जन्मोत्सव का क्या औचित्य?
और उस सर्वव्यापी को, सर्वविद्यमान को
एक छोटे से ज़मीन के टुकड़े में बाँध कर
जन्मभूमि घोषित कर 
हज़ारों को मौत के घाट उतार देना क्या प्रियकर है?

हम
जो जीवित है
उनका जन्मदिन मनाने में क्यों कोताही बरतते हैं?
क्यूँ उन्हें पूजते रहते हैं
जिनका होना होना कोई मायने नहीं रखता है?

जिस काल में 
समय का प्रारूप ही नहीं था
दिन-महीनों के नाम थे
जन्मदिन मनाने की प्रथा थी
मैं कैसे मान लूँ कि
अमुक महीने में, अमुक दिन, अमुक समय पर
किसी का जन्म हुआ था?

तुम्हें हर्षोल्लास का एक बहाना चाहिए?
मैं तुम्हें सौ देता हूँ
उन सबका जन्मदिन मनाओ 
जिन्होंने तुम्हारे जीवन को सार्थक बनाया
निराशा के वक़्त आशा दिलाई
दिशा दिखाई
गिरने से बचाया
प्रोत्साहित किया
चाहे वो
  • रिश्तेदार हो
  • अभिभावक हो
  • संगी हो, साथी हो
  • पहला प्यार हो
  • कलाकार हो
  • गीतकार हो
  • संगीतकार हो
  • निर्देशक हो
  • निर्माता हो
  • कवि हो
  • लेखक हो
  • पटकथाकार हो
  • संवाद लेखक हो
  • संवाददाता हो
  • समाचारवाचक हो
  • गायक हो
  • वादक हो
  • अध्यापक हो

29 अगस्त 2018
सिएटल

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1 comments:

'एकलव्य' said...

निमंत्रण विशेष :

हमारे कल के ( साप्ताहिक 'सोमवारीय' अंक 'सोमवार' १० सितंबर २०१८ ) अतिथि रचनाकारआदरणीय "विश्वमोहन'' जी जिनकी इस विशेष रचना 'साहित्यिक-डाकजनी' के आह्वाहन पर इस वैचारिक मंथन भरे अंक का सृजन संभव हो सका।

यह वैचारिक मंथन हम सभी ब्लॉगजगत के रचनाकारों हेतु अतिआवश्यक है। मेरा आपसब से आग्रह है कि उक्त तिथि पर मंच पर आएं और अपने अनमोल विचार हिंदी साहित्य जगत के उत्थान हेतु रखें !

'लोकतंत्र' संवाद मंच साहित्य जगत के ऐसे तमाम सजग व्यक्तित्व को कोटि-कोटि नमन करता है। अतः 'लोकतंत्र' संवाद मंच आप सभी का स्वागत करता है। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/