मैं आया तबसे गया नहीं
जैसा था वैसा रहा नहीं
गया पचीसों बार मगर
उस राहुल में वो राहुल था नहीं
मूँछ हटी, बाल झड़े
दाँत भी अब वो कहाँ रहे
इस नित बदलती काया में
मूल कण कोई बचा नहीं
रंग बदल गए, ढंग बदल गए
शहर बदले, संग बदल गए
अपने-पराए का भेद मिटा
अपना-पराया कोई लगा नहीं
समय भागता है घड़ी की सुइयों सा
मौसम बदलता है कैलेण्डर के पन्नों सा
इस आपाधापी के माहौल में
ख़ुद ने ही ख़ुद से कुछ कहा नहीं
15 सितम्बर 2018
(अमरीका में पदार्पण की 32 वीं वर्षगाँठ)
सिएटल
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