Sunday, September 23, 2018

फल की अभिलाषा

चाह नहीं, मैं ट्रक में भर के
गोदामों में पक जाऊँ 
या किसी मेज़ की शोभा बनूँ
और फ़्रीज़ में उम्र बढ़ाऊँ 

चाह नहीं मैं पीस-पिसा के
'जाम' में बदला जाऊँ 
और पाँच सितारा होटल में 
ऊँगलियों पे चाटा जाऊँ 

मुझे छोड़ देना उस पेड़ पर
जिस पर बच्चे पत्थर मारे फेंक
कोई रोके, कोई टोके
कोई मासूमों में भरे विवेक

(माखनलाल चतुर्वेदी से क्षमायाचना सहित)
23 सितम्बर 2018
सिएटल

इससे जुड़ीं अन्य प्रविष्ठियां भी पढ़ें
parodies
Makhan Lal Chaturvedi


    0 comments: