तू वायरस नहीं
कि तुझसे हाथ धो लूँ
तू मास्क नहीं
कि तुझे उतार फेंकूँ
तू मेरी धड़कन है
तुझे सीने से लगा रखा है
तू वैक्सीन नहीं
कि सबमें बाँट दूँ
तू कोरोना नहीं
कि मुख मोड़ लूँ
तू ख़ुशबू है
तुझे नस-नस में बसा रखा है
तू साल नहीं
कि कैलेंडर से ढाँप दूँ
तू खबर नहीं
कि पुरानी करार दूँ
तू जान मेरी
तुने मुझे बचा रखा है
राहुल उपाध्याय । 11 फ़रवरी 2021 । सिएटल
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