Monday, February 1, 2021

इतना भरोसा है

रोती है वो 

ढेर सारे

सच्चे आँसू 

जब भी मैं बात करता हूँ 

मेरे जाने की 


जबकि वह जानती है कि 

सबको एक दिन जाना है 

मुझे उससे पहले 

बहुत पहले 

और यह भी कि 

वह मेरे बिना जी लेगी 

बख़ूबी जी लेगी 

जैसे जी रहीं हैं 

कई विधवाएँ 

और प्रेमिकाएँ


बहुत दुःख होता है 

उसे रोता देख कर 

और एक सुकून भी 

कि मैं उसके बिना

न जीता हूँ

न जी सकूँगा 

न जीऊँगा


एक्चुअरियल साइंस का

मुझ पर

और मुझे उस पर

इतना भरोसा है


राहुल उपाध्याय । 1 फ़रवरी 2021 । सिएटल 



इससे जुड़ीं अन्य प्रविष्ठियां भी पढ़ें
relationship
intense


1 comments:

Dr Varsha Singh said...

शानदार... बढ़िया कविता