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इंसान हैं तो डरना क्या
जब इंसान हैं तो डरना क्या
इंसान हैं हम पापी नहीं हैं
पग-पग पल-पल डरना क्या
रोज़ हमें है जश्न मनाना
ग़म भी दे दे चाहे ज़माना
जीत उसी की जो हार न माने
नैनों में जल भरना क्या
जब तक साँसें आस रहेगी
शम्मा हमारी रोशन रहेगी
जब तक जीना तब तक जीना
चिंता की चिता पे मरना क्या
रूक न सकेगा काम हमारा
रोशन होगा नाम हमारा
ठान लिया जब कोई इरादा
करने से उसे मुकरना क्या
(शकील बदायुनी से क्षमायाचना सहित)
राहुल उपाध्याय । 14 जनवरी 2021 । सिएटल
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