प्याज़ भी नहीं खाते हम
कि
उसे काटूँ
तो आँसू निकले
सस्ती मिर्ची भी
इतनी तीखी नहीं
कि मुझे रूला सके
मोह-माया भी
कुछ नहीं कि
कुछ खोऊँ
तो रो पड़ूँ
उसने
आज दिल से
दिल की बात कही
मेरी हर हरकत को
नज़ाकत से
ख़ूबसूरती से
देखा, जाना, समझा
तो अनवरत आँसू बहें
कोई कैसे इतना
निर्मल
निश्छल
पवित्र हो सकता है
नोबल पुरस्कार
तो कोई क्या देगा
लेकिन उसने जो प्यार दिया
वो किसी संस्था के बस की बात नहीं
राहुल उपाध्याय । 23 जनवरी 2021 । सिएटल
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