Saturday, January 23, 2021

आँसू

प्याज़ भी नहीं खाते हम

कि

उसे काटूँ

तो आँसू निकले


सस्ती मिर्ची भी

इतनी तीखी नहीं 

कि मुझे रूला सके


मोह-माया भी

कुछ नहीं कि

कुछ खोऊँ 

तो रो पड़ूँ 


उसने

आज दिल से

दिल की बात कही

मेरी हर हरकत को 

नज़ाकत से

ख़ूबसूरती से

देखा, जाना, समझा

तो अनवरत आँसू बहें


कोई कैसे इतना

निर्मल 

निश्छल 

पवित्र हो सकता है


नोबल पुरस्कार 

तो कोई क्या देगा

लेकिन उसने जो प्यार दिया

वो किसी संस्था के बस की बात नहीं 


राहुल उपाध्याय । 23 जनवरी 2021 । सिएटल 

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