मैंने पूछा गुगल से कि देखा है कहीं
हमारे ट्रम्प सा दुखी
गुगल ने कहा सर्च की क़सम
नहीं, नहीं, नहीं
मैंने ये हिसाब तेरा देखा
हर जगह ख़राब तेरा देखा
ट्वीटर पे ट्वीट तेरी देखी
सब में तेज़ाब तेरा देखा
मैंने पूछा ट्वीटर से फ़लक़ हो या ज़मीं
ऐसा पंछी है कहीं
ट्वीटर ने कहा हर ट्वीट की क़सम
नहीं, नहीं, नहीं
झूठ रोज़-रोज़ तू बके है
सुन-सुन के कान भी पके हैं
पद नहीं रियासत खुद की
समझ के नशे मे तू रहे है
मैंने पूछा जाम से फ़लक़ हो या ज़मीं
ऐसी मय भी है कहीं
जाम ने कहा, मयकशी की क़सम
नहीं, नहीं, नहीं
बदनामी जो तूने पाई
लुट गई ख़ुदा की बस ख़ुदाई
कौड़ी का शैतान कहूँ तुझे मैं
या कहूँ जहान की तबाही
मैं जो पूछूँ फ़ेसबुक से ऐसा अप्रिय
इन्सान है कहीं
फ़ेसबुक कहे लाईक की क़सम
नहीं, नहीं, नहीं
(आनन्द बक्षी से क्षमायाचना सहित)
राहुल उपाध्याय ।11 जनवरी 2021 । सिएटल
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