Friday, January 29, 2021

संगीत वही है, झुनझुने जुदा हैं

संगीत वही है

झुनझुने जुदा हैं

हममें-तुममें

वही तो छुपा है


घटा बरसा के

हमें वो खिलाए

बरसों से बरसा प्रेम 

कभी न घटा है


क़िस्मत की बात है

कि हाथों का हाथ है

इस बहस से कुछ हासिल 

न होगा न हुआ है


समंदर की प्यासी

सारी हैं नदियाँ 

उछलता-कूदता देखो

कारवाँ उधर ही चला है


प्यासी ये नदियाँ 

प्यास क्या बुझाएँ 

पानी को पानी को

पाने का नशा है


राहुल उपाध्याय । 29 जनवरी 2021 । सिएटल 


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