संगीत वही है
झुनझुने जुदा हैं
हममें-तुममें
वही तो छुपा है
घटा बरसा के
हमें वो खिलाए
बरसों से बरसा प्रेम
कभी न घटा है
क़िस्मत की बात है
कि हाथों का हाथ है
इस बहस से कुछ हासिल
न होगा न हुआ है
समंदर की प्यासी
सारी हैं नदियाँ
उछलता-कूदता देखो
कारवाँ उधर ही चला है
प्यासी ये नदियाँ
प्यास क्या बुझाएँ
पानी को पानी को
पाने का नशा है
राहुल उपाध्याय । 29 जनवरी 2021 । सिएटल
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