Friday, January 1, 2021

अर्थहीन शुभकामनाएँ

अर्थहीन शुभकामनाएँ 

न कोई लिखता है

न पढ़ता है

न समझता है

कोलाहल में 

हर कोई 

हो विवश 

जा जुड़ता है


अहिंसा परमो धर्म:

किंतु …


सर्वे भवन्तु सुखिनः 

इसमें भी कोई 

किंतु-परंतु हो तो बता दें


और ये जो

शुभ नव वर्ष है

इसमें से भी कुछ घटाना हो

तो घटा दिया करें 

ताकि बाद में कोई

दिक्कत न हो


और यह शुभ होगा कैसे?

क्या यह आपके कहने भर से 

हो जाएगा

क्या इसमें आपका भी कोई 

सक्रिय योगदान होगा?

या यूँही तमाशा देखेंगे 

कुछ ज़्यादा ही अच्छा हो गया 

तो

जलेंगे-भुनेंगे?


राहुल उपाध्याय । 1 जनवरी 2021 । सिएटल 









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3 comments:

सुशील कुमार जोशी said...

फ़िर भी नव वर्ष मंगलमय हो। सुन्दर सृजन।

Shantanu Sanyal शांतनु सान्याल said...

स्फटिक सत्य अभिव्यक्ति।

सधु चन्द्र said...

और यह शुभ होगा कैसे?
क्या यह आपके कहने भर से
हो जाएगा
क्या इसमें आपका भी कोई
सक्रिय योगदान होगा?
या यूँही तमाशा देखेंगे
कुछ ज़्यादा ही अच्छा हो गया
तो
जलेंगे-भुनेंगे?

सुंदर प्रस्तुति।
सादर