फ़ोन पर तुम्हारी तस्वीर
टिकती नहीं है
थोड़ी-थोड़ी देर में
ओझल हो जाती है
फिर समझ आया कि
यह मुझे निष्क्रिय जान
अपनी जान बचाने के चक्कर में
तुम्हें ग़ायब कर देता है
और मैं स्क्रीन छूता नहीं
ताकि तुम पर कोई दाग न आए
आई-फ़ोन इलेवन प्रो मैक्स
जिसमें एक नहीं चार कैमरे हैं
जो भाँप लेता है
मेरी आँखें
जो टटोल लेता है
मेरा नाक-नक़्श
क्यों नहीं समझ पाता है
कि मैं तुम्हें एकटक देख रहा हूँ
यदि यह निष्क्रियता का प्रतीक है
तो सक्रियता क्या है
मैं नहीं जानता
मैं जितना ज़िन्दा आज हूँ
उतना ज़िन्दा कभी नहीं रहा
राहुल उपाध्याय । 9 जनवरी 2021 । सिएटल
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