समझ लो ज़ीस्त के मानी
जहाँ हो सुख पाओगे
सफ़र में ही है सुख सारा
जहां को ये बताओगे
है जब तक हाथ में शक्ति
तुम्हारी आँख में ज्योति
जो देखे ही नहीं अब तक
वो मोती ढूँढ लाओगे
जहाँ है प्यार का मारा
जहाँ में प्यार ही सब कुछ
इसे तुम प्यार से देखो
प्यार ही प्यार गाओगे
अगर हो हमसफ़र कोई
राह छोटी नहीं होती
तुम्हारा ही है ये संघर्ष
कहा ये मान जाओगे
राहुल उपाध्याय । 14 जुलाई 2021 । सिएटल
ज़ीस्त = जीवन
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वाह
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