जूते नहीं रख सकते हैं जो मंदिर में रैक पर
वो क्या चलेंगे पथ किसी नेक पर
जो कर नहीं सकते इंतज़ार किसी क़तार में
वो क्या रखेंगे श्रद्धा किसी दातार में
जिनके लिए मंदिर-शिवाले पेट-पूजा के आधार हैं
उनके लिए क्या राम, और क्या राम की जय-जयकार है
हम और आप ही बस दूध के धुले हैं
बाक़ी सब तो बस बुरे ही बुरे हैं
यह संसार कुछ और नही, एक बाज़ार है
और मंदिर इस बाज़ार का एक औज़ार है
राहुल उपाध्याय । 1 अप्रैल 2019 । सिएटल
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वाह
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