जिनसे हम आज़ाद हुए
वे इतने सभ्य निकले
कि नई पीढ़ी
उन्हें ही गले लगा बैठी
और जिस भाई से उन्होंने
हमें जुदा किया
उससे सम्बन्ध इतने बिगड़े
कि उससे बड़ा कोई दुश्मन नहीं
यानी जाते-जाते भी
इतना करम कर गए
कि आस्तीन के साँप को
आस्तीन से जुदा कर गए?
ऐसा नहीं कि
वे पहले असभ्य थे
और बाद में सभ्य हुए
वे जैसे थे
वैसे ही रहे
बस रिश्ता बदल गया
स्वामित्व ख़त्म होते ही
सम्बन्ध सँवर जाते हैं
बिगड़ते नहीं
और जहाँ बराबरी का रिश्ता हो
और दोनों बराबरी करने पर उतर आए
तो सम्बन्ध बिगड़ जाते हैं
राहुल उपाध्याय । 25 मार्च 2019 । सिएटल
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