Monday, March 18, 2019

हर तरफ़ भक्त यही गीत गाते हैं

हर तरफ़ भक्त यही गीत गाते हैं
हम उनके, वे हमारे हैं

कितनी जुमलेबाजी है उनके वादों में 
पढ़े-लिखे भी दीवाने हो जाए
कितनी चतुराई है उनकी बातों में 
झूठे आँकड़े भी सच्चे हो जाए
आयुर्वेद से ब्रहमास्त्र तक के ख़ज़ाने हैं

एक हल्का सा इशारा उनका
अच्छे-खासे सितारे जमा हो जाए
बरसों से जमा की गई पूँजी 
रातों-रात हवा हो जाए
तानाशाह बनने के आसार नज़र आते हैं

किसी दौलत का किसी जायदाद का
कोई भी लालच नहीं है उनको 
छप्पन इंची सीना है
सीना पुरजवाँ इनका
फिर क्यूँ किस बात से वे घबराते हैं
दो-दो जगह से चुनाव लड़े जाते हैं
भ्रष्ट नेताओं से सम्बन्ध जोड़े जाते हैं

अरूणाचल प्रदेश की समस्या 
जैसी की तैसी है
धारा 370 की दशा 
जैसी की तैसी है
झूठे सपने-सब्ज़-बाग़ क्यूँ दिखाए जाते हैं

(कैफ़ी आज़मी से क्षमायाचना सहित)
राहुल उपाध्याय 17 मार्च 2019 सिएटल

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1 comments:

Neelam said...

सुंदर रचना