खिड़कियाँ बंद करो
दरवाज़ें भिड़ाओ
पर्दे गिराओ
ट्यूबलाईट जलाओ
फ़ुल-स्पीड से पंखा चलाओ
ऐसे में
फिर क्या कोई सोचे
पुरवाई चली
या चिड़िया कहीं बोली?
पंखों के शोर में
परवाज़ सुनाई नहीं देती
चिड़िया की चहचहाट तो दूर
खुद को खुद की आहट सुनाई नहीं देती
ऐसे में
फिर क्या कोई सोचे
सूरज आया? गया किधर?
चाँद पूरा है? या कटा कहीं से?
मेघ आएं? गरजें-बरसें?
24 जुलाई 2013
दिल्ली । 98713-54745
दरवाज़ें भिड़ाओ
पर्दे गिराओ
ट्यूबलाईट जलाओ
फ़ुल-स्पीड से पंखा चलाओ
ऐसे में
फिर क्या कोई सोचे
पुरवाई चली
या चिड़िया कहीं बोली?
पंखों के शोर में
परवाज़ सुनाई नहीं देती
चिड़िया की चहचहाट तो दूर
खुद को खुद की आहट सुनाई नहीं देती
ऐसे में
फिर क्या कोई सोचे
सूरज आया? गया किधर?
चाँद पूरा है? या कटा कहीं से?
मेघ आएं? गरजें-बरसें?
24 जुलाई 2013
दिल्ली । 98713-54745