Tuesday, January 28, 2014

आप के चुनाव में मेरा हाथ ज़रूर है

आप के चुनाव में मेरा हाथ ज़रूर है
मेरा दिल बदल गया तो मेरा क्या कसूर है
आप के उत्थान में मेरा हाथ ज़रूर है
मेरा दिल बदल गया तो मेरा क्या कसूर है

अभी-अभी सरकार बनी और उठ रहे सवाल हैं
भ्रष्टाचार छोड़-छाड़ कर रहे धमाल हैं
विधायक आपका हर एक नशे में चूर-चूर है
मेरा दिल ...

कहाँ तो बात करते थे होगी दूर कठिनाईयाँ
होगी शांति चारों ओर, महफ़ूज़ होगी लड़कियाँ
बहाना अब सुना कि पुलिस सुनती कहाँ हज़ूर है
मेरा दिल ...

जहाँ-जहाँ ज़रूरत पड़ी वहाँ-वहाँ वादे कर दिये
जब वक़्त आया अदायगी का तो वादों से मुकर गये
जमाल आपका धीरे-धीरे हो रहा काफ़ूर है
मेरा दिल ...

(अंजान से क्षमायाचना सहित)
सिएटल । 513-341-6798
28 जनवरी 2014

http://smriti.com/hindi-songs/aapake-hasiin-ruk-pe-aaj-nayaa-nuur-hai-utf8

Wednesday, January 8, 2014

बढ़ती दूरियाँ

(1)
हर मील का पत्थर
हमें एक दूसरे से काटता है
दूर करता है
"भाई साहब, शिवगढ़ कितना दूर है?"
पूछने से रोकता है

(2)
भाषा आनी चाहिए
पर इतनी भी नहीं
कि बोलचाल ही बंद हो जाए

पढ़ने-लिखने में इतने निपुण न हो जाए
कि सन्नाटा ही छा जाए

भाषा आए
तो बोलने भर की आए
ताकि
धूप में
खाट पे बैठे
अख़बार पढ़ते बुज़ुर्ग से
मैं बतिया सकूँ
कि
"बाऊजी, बताइए दुनिया में आजकल क्या चल रहा है?"

(3)
धन हो
पर इतना भी नहीं कि
अपने ही घर में थियेटर हो
और हम जन-समाज के बीच उठना-बैठना ही भूल जाए

धन हो
पर इतना भी नहीं कि
अपना ही चार्टर्ड प्लेन हो
और हमसे किसी अजनबी से रु-ब-रु होने की तमीज़ भी जाती रहे

धन हो
पर इतना भी नहीं कि
अपनी ही कार से दफ़्तर जाए
कारपूल से कतराए
और पब्लिक ट्रान्स्पोर्ट के नाम से ही पसीने छूट जाए

8 जनवरी 2014
दिल्ली । 88004-20323


Monday, January 6, 2014

आप: दो बातें

लोकसभा चुनाव को
अंग्रेज़ी में
जनरल इलेक्शन
और हिंदी में
आम चुनाव
कहा जाता है
 

अगर आम चुनाव में
आम आदमी पार्टी न जीते
तो इससे बड़ी विडम्बना
और क्या होगी?

दूसरी बात
जब भारतीय जनता पार्टी को 'ब्ज्प' न कह कर
'भाजपा' कहा जाता है
तो फिर आम आदमी पार्टी को 'आप' क्यों?
'आआपा' क्यों नहीं?

हिंदी को रोमन में पढ़ने की इतनी बुरी लत लग गई है कि यह तो होना ही था!

सोचो अगर राहुल गाँधी का 'मिडिल नेम' होता और वो भी ओम
तो क्या लोग उन्हें 'रोग' कहते?

6 जनवरी 2014
दिल्ली । 88004-20323

Thursday, January 2, 2014

लाभ-हानि का गणित

विप्रो के शेयर खरीदना
या
विप्रों को भोजन कराना
दोनों सूरते एक सी ही है
दोनों में लाभ-हानि का गणित है
दोनों एक सट्टा है
जिसमें फ़ंसता हर एक बंदा है
यह जानते हुए भी कि
(या शायद यह जानकर ही कि)
भविष्य निश्चित ही
अनिश्चित है

3 जनवरी 2014
दिल्ली । 91-88004-20323
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विप्रो = Wipro
विप्रों = ब्राह्मणों


मुस्कुराता हुआ चेहरा

न जाने कोई कैसे कूच कर जाता है
और तस्वीरों में क़ैद रह जाता है
बिना वजह मुस्कुराता हुआ
पन्ना पलटने पर भी
एलबम बंद करने पर भी
अलमारी में रख देने पर भी
मुस्कराता ही रहता है

एक हम ही हैं
हाड़-मांस के
जिनके तेवर बदलते रहते हैं
कोई नव-आगंतुक आता है तो अन्तिम दिन की बात करके रोते हैं
कोई दूसरा आता है तो काम की बात करते हैं
नल से पानी टपक रहा है उसे टाईट कर देना
फ़्रिज का बल्ब बुझ गया है उसे बदल देना
बाथरूम में बैठकर नहाने के लिए स्टूल ले आना

खाली घर काटने को न जाने कब दौड़ेगा
अभी तो कई रस्में पूरी करनी हैं
कई ब्राह्मण जीमाने हैं
मुस्कुराते हुए चेहरे पे श्रद्धा सुमन चढ़ाने हैं

3 जनवरी 2014
नई दिल्ली । 91-88004-20323