Saturday, June 27, 2015
सूरज
Posted by Rahul Upadhyaya at 12:40 PM
आपका क्या कहना है??
7 पाठकों ने टिप्पणी देने के लिए यहां क्लिक किया है। आप भी टिप्पणी दें।
Labels: intense
Friday, June 26, 2015
मैं बचपन से ही कवि हूँ
Posted by Rahul Upadhyaya at 11:55 PM
आपका क्या कहना है??
2 पाठकों ने टिप्पणी देने के लिए यहां क्लिक किया है। आप भी टिप्पणी दें।
Labels: intense
Wednesday, June 24, 2015
आपातकालीन स्वर्ण युग
Posted by Rahul Upadhyaya at 11:58 PM
आपका क्या कहना है??
1 पाठक ने टिप्पणी देने के लिए यहां क्लिक किया है। आप भी टिप्पणी दें।
Labels: intense
Tuesday, June 23, 2015
नाव थी सो छोड़ दी
सो छोड़ दी
बुद्ध की बात
ओढ़ ली
तब तक उसका साथ है
ढोना उसे सम्मोह है
किनारे पे थी
क्षुब्ध सी
लहरों पे थी
उन्मुक्त सी
तय की
किनारे पे
खूँटे से
बंध गई
वो साँस है
पेट में
जलती आग है
वे संस्कार हैं
कराते
भवसागर पार हैं
सिएटल । 425-445-0827
http://www.victoriaprehn.com/2013/08/02/buddha-the-parable-of-the-boat/
————-
————
“There are only two mistakes one can make along the road to truth;
not going all the way, and not starting.”
Posted by Rahul Upadhyaya at 8:38 PM
आपका क्या कहना है??
1 पाठक ने टिप्पणी देने के लिए यहां क्लिक किया है। आप भी टिप्पणी दें।
Labels: intense
Sunday, June 21, 2015
तुम्हीं हो माता, पिता तुम्हीं हो
Posted by Rahul Upadhyaya at 9:27 AM
आपका क्या कहना है??
1 पाठक ने टिप्पणी देने के लिए यहां क्लिक किया है। आप भी टिप्पणी दें।
Labels: intense
Thursday, June 11, 2015
तैरता हूँ रोज़
Posted by Rahul Upadhyaya at 5:49 PM
आपका क्या कहना है??
1 पाठक ने टिप्पणी देने के लिए यहां क्लिक किया है। आप भी टिप्पणी दें।
Labels: intense