खम्भे के इस पार है हरियाली
Wednesday, September 30, 2015
खम्भे के इस पार है हरियाली
Posted by Rahul Upadhyaya at 10:17 PM
आपका क्या कहना है??
1 पाठक ने टिप्पणी देने के लिए यहां क्लिक किया है। आप भी टिप्पणी दें।
Wednesday, September 23, 2015
यह घड़ी अगर मैं बनाता और होता नाम अहमद
यह घड़ी अगर मैं बनाता और होता नाम अहमद
घर बुलाते ओबामा मुझको और होते सारे गदगद
होते सारे गदगद करती प्रेस ताता-थैया
जग में होता नाम मेरा और मिलते ऑफर बड़िया
मिलते ऑफर बड़िया पर मेरा नाम रखा ऐसा छाँटकर
कि हिंदुस्तान से भी भागा डरकर, खा गया वहाँ आरक्षण
यहाँ आकर भी नाम बदला, बदला रहन-सहन भी
कब तक बाबा रामदेव की सुनता, जिम में उठाए वजन भी
धोबी के कुत्ते जैसी हालत, न रहा इधर का न उधर का
मेरा भी क्या दोष है इसमे, मैंने तो चाही मधुरता
मेल्टिंग पॉट में मेल्ट होकर मिटा डाली विविधता
बाकी जो कुछ बचे-खुचे हैं उन्हें हर कोई है पूजता
कवि महोदय, कथा-वाचक, ज्योतिष और वैद्य
नाटकवाले, गायक, मेकअप मैडम सब के सब हैं सेट
यह घड़ी अगर मैं बनाता और होता नाम अहमद
घर बुलाते ओबामा मुझको और सारे होते गदगद
23 सितम्बर 2015
सिएटल | 425-445-0827
Posted by Rahul Upadhyaya at 5:52 PM
आपका क्या कहना है??
1 पाठक ने टिप्पणी देने के लिए यहां क्लिक किया है। आप भी टिप्पणी दें।
Labels: news
Sunday, September 20, 2015
जीत गए तो डरना क्या
Posted by Rahul Upadhyaya at 6:05 AM
आपका क्या कहना है??
1 पाठक ने टिप्पणी देने के लिए यहां क्लिक किया है। आप भी टिप्पणी दें।
Thursday, September 3, 2015
अब कहाँ किसमे इतना सब्र है
अब कहाँ किसमे इतना सब्र है
कि दो दिन इंतज़ार करे
और गर्म राख में हाथ खराब करे
बस बटन दबाया
और एक ठंडा कलश हाथ आ जाता है
और आप अमेज़ॉन प्राईम के मेम्बर हैं
तो फिर वो दिन दूर नहीं
जब डेश के बटन को दबाते ही
हज़ारों मील दूर पड़ा पार्थिव शरीर
मिनटों में राख हो जाएगा
न टिकट खरीदने की झंझट
न प्लेन में चढ़ने के लिए एक लम्बी उबाउ कतार
न एम्स्टर्डम के सुरक्षाकर्मी को रटे-रटाए सवालों के जवाब देना
न आधी रात घर पहुँचना
और बढ़ती गर्मी और घटते परिवार
के बीच मन ही मन यह समझ आना कि
अब तुम बड़े हो गए हो
घर आए छोटे बच्चे नहीं हो
कि मन-माफ़िक़ खाना बनेगा
पिकनिक की बातें होगी
गोलगप्पे खाए जाएगे
और हाँ
जल्दी ही एक ड्रोन सर्विस भी तैयार हो जाएगी
ताकि गंगा भी न जाना पड़े
स्मार्टफोन पर ही बटन दबाया
और उधर अस्थियाँ विसर्जित
पुनश्च:
जो पढ़े-लिखे लोग हैं
उन्हें पर्यावरण की बड़ी चिंता है
मुझ कम पढ़े व्यक्ति की बातों में आकर
आप उनका अनादर न करें
जितना भी वे कर सकते हैं
कर रहे हैं
एक लाश न जलाकर
वैसी ही उनपर
बी-एम-डबल्यू और मर्सीडीज़ चलाने का
बड़ा बोझ है
3 सितम्बर 2015
सिएटल । 425-445-0827
Posted by Rahul Upadhyaya at 5:43 PM
आपका क्या कहना है??
1 पाठक ने टिप्पणी देने के लिए यहां क्लिक किया है। आप भी टिप्पणी दें।
Labels: intense
Wednesday, September 2, 2015
चमचों का भक्तों का, सबका कहना है
Posted by Rahul Upadhyaya at 7:18 PM
आपका क्या कहना है??
2 पाठकों ने टिप्पणी देने के लिए यहां क्लिक किया है। आप भी टिप्पणी दें।
Labels: Anand Bakshi, parodies